नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी में समुद्री-लुटेरों से जुड़ा कोई नियम नहीं है. जिसके चलते समुद्री-दस्यु को समंदर में पकड़ने से उल्टा नौसेना और कोस्टगार्ड को ही परेशानी होती है. क्योंकि भारतीय कानून में उन्हें सजा देने का ही कोई प्रावधान नहीं है. इस बात पर खुद नौसेना प्रमुख एडमिरल लांबा ने नाराजगी जताई है. नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा राजधानी दिल्ली में 'भारत और पड़ोस में सुरक्षा' नाम के सेमिनार में बोल रहे थे.
नौसेना प्रमुख ने साल 2011 का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने और कोस्टगार्ड ने एक साझा ऑपरेशन में सोमालिया के 126 समुद्री-लुटेरों को पकड़ा था. इस ऑपरेशन में सोमालियाई दस्यु की बोट भी डूब गई थी. लेकिन एडमरिल सुनील लांबा के मुताबिक, उसके बाद हमारी ही परेशानियां बढ़ गईं क्योंकि इंडियन पिनल कोड यानि आईपीसी में समुद्री-लूट से जुड़ा कोई नियम या प्रावधान ही नहीं है.
इस दौरान उन्होनें कहा कि भारत का समुद्री-परिक्षेत्र बेहद बड़ा है इसके बावजूद पूरे देश में सिर्फ एक ही पुलिस स्टेशन है जहां पर अंतर्राष्ट्रीय समंदर में हुए किसी अपराध से जुड़ी शिकायत दर्ज हो सकती है और जांच कर सकता है. ये पुलिस स्टेशन मुंबई में है.
आपको बता दें कि अरब सागर में सोमालियाई डाकूओं का खौफ हमेशा बना रहता है. ये समुद्री-डकैत अफ्रीका के केप ऑफ होर्न यानि सोमालिया से लेकर फारस की खाड़ी और अरब सागर के एक बड़े हिस्सा पर सक्रिय रहते हैं. ये यहां से गुजरने वाले कार्गो जहाज को लूट लेते हैं और क्रू-मेम्बर्स का अपहरण कर एक बड़ी फिरौती मांगते हैं. क्योंकि इस समंदर का एक बड़ा हिस्सा भारतीय नौसेना के अधिकार-क्षेत्र में आता है इसलिए यहां से गुजरने वाली सी-लाइन यानि समुद्री-रूट पर नौसेना के जहाजों को पैट्रोलिंग करनी पड़ती है और इन समुद्री-लुटेरों से जूझना पड़ता है.
इन समुद्री लुटेरों के चलते ही चीन ने भी अपने युद्धपोत अरब सागर में तैनात कर दिए हैं. हाल ही में भारत और चीन की नौसेना ने एक साझा ऑपरेशन में सोमालिया के समुद्री-लुटेरों से एक जहाज को लुटने से बचाया था. इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के मेरीन कमांडो और हेलीकॉप्टर्स ने भी हिस्सा लिया था.