मुखर्जी के भाषण से देश में सहिष्णुता लौटने की उम्मीद: आडवाणी
आडवाणी ने कई दशकों तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी के आरएसए के कार्यक्रम में जाने के फैसले की जमकर तारीफ की.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में बृहस्पतिवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जो बातें कहीं उस पर अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की प्रतिक्रिया आई है. आडवाणी ने कहा कि मुखर्जी का आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा लेना वर्तमान इतिहास की बेहद अहम घटना है. उन्होंने ये भी कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद पर मुखर्जी ने जो कहा वो आंखें खोलने वाला है.
आडवाणी ने कई दशकों तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी के आरएसए के कार्यक्रम में जाने के फैसले की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि मुखर्जी और आरएसए प्रमुख मोहन भागवत ने प्रशंसनीय उदाहरण पेश किया है और साबित किया है कि बातचीत से विचारधारा की दीवारें पाटी जा सकती हैं. दोनों ने भारत की एकता के लिए अहम चीज़ों का उल्लेख किया, जिसमें हर तरह की विविधात के लिए जगह है और अलग-अलग धर्म भी इसी का हिस्सा हैं.
सबसे लंब समय तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे आडवाणी ने भागवत की तारीफ करते हुए कहा कि भागवत के नेतृत्व में संघ देश के तमाम हिस्सों के साथ संवाद स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी बातचीत से खुलापन और आपसी सद्भाव बढ़ेगा जिससे सहिष्णुता, सौहाद्र और सहियोग का महौल बनेगा और यही हमें हमारे सपानों का भारत बनाने में मदद करेगा. मुखर्जी के साथ बिताए गए लंबे समय का हवाला देते हुए आडवाणी ने कहा कि पब्लिक लाइफ में इतने लंबे अनुभव ने उन्हें राजनेता बना दिया है और इसी वजह से उनका भारोसा अलग-अलग विचारधारा के लोगों के साथ भी डायलॉग में है.
आपको बता दें कि आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के फैसले ने मुखर्जी को चौतरफा हमलों का शिकार बना दिया था. यहां तक कि जब उनकी बेटी शर्मिष्ठा के बीजेपी में जाने की अफवाह उड़ी तब बेटी ने ट्विटर का सहारा लिया और लिखा कि इस कार्यक्रम में जाने के बाद मुखर्जी का भाषण भुला दिया जाएगा. लेकिन तस्वीरों का जिस तरीके से ग़लत इस्तेमाल किया जाएगा वो लोगों को लंबे समय तक याद रहेंगी.
कांग्रेस की चीर प्रतिद्वंदी बीजेपी को आरएसएस का राजनीतिक संगठन माना जाता रहा है. ऐसे में मुखर्जी के इस फैसले का कम से कम दर्जनभर कांग्रेसी नेताओं ने भी खुलकर विरोध किया. लेकिन अपने भाषण में असहिष्णुता, अनेकता में एकता और इसी में समाए भारत के राष्ट्रवाद की बात करके उन्होंने सबका दिल जीत लिया.
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