सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (23 जुलाई, 2024) को नीट यूजी पेपर लीक मामले पर सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने कविता पढ़ते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील रखी. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने फिराक जलालपुरी की कविता पढ़ी.
एडवोकेट कोर्ट में याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से पेश हुए थे और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे थे. तभी कोर्ट में बहस के दौरान एडवोकेट संजय हेगड़े ने एसजी का नाम लेते हुए कहा, 'क्योंकि मिस्टर मेहता यहां हैं और उन्हें कविता पसंद है... इस केस को सिर्फ एक कविता में ही संक्षिप्त किया जा सकता है- तू इधर उधर की बात न कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है...'
एडवोकेट हेगड़े ने कहा कि एनटीए पेपर लीक से इनकार करता रहा और बाद में 1563 छात्रों की फिर से परीक्षा कराने की बात कही. उन्होंने कहा कि 22 जून को ही कर्मियों में बदलाव किए गए और सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ले ली. संजय हेगड़े ने कहा कि एक संगठित गिरोह भी सामने आया है, जिसका पेपर लीक का पूराना इतिहात रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि आप एक प्रतियोगी परीक्षा पर भरोसा नहीं कर सकते, जिसमें 61 टॉपर हों.
दोबारा नहीं होगी नीट परीक्षा
कोर्ट में छात्रों ने नीट परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित कराने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई सामग्री रिकॉर्ड में नहीं है, जिससे ये साबित हो पेपर लीक हुआ है या परीक्षा में कोई गड़बड़ी हुई. इस फैसले से केंद्र सरकार और एनटीए को बड़ी राहत मिली है क्योंकि परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर सड़कों से लेकर संसद तक सरकार को कड़ी आलोचना और विरोध का सामना करना पड़ा है.
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पारदीवाला जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने चार दिनों में केंद्र और एनटीए और विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े और मैथ्यूज नेदुमपरा सीनियर एडवोकेट की दलीलें सुनीं.
बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'इस तरह के मामलों में कोर्ट के अंतिम निष्कर्ष वर्तमान चरण में दर्ज किए जाने चाहिए क्योंकि इस विवाद को निश्चितता और अंतिम रूप प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है, जो 20 लाख से अधिक छात्रों के करियर को प्रभावित करता है.' कोर्ट ने कहा कि फिर से परीक्षा कराने का आदेश देने से पिछली परीक्षा में शामिल हुए 24 लाख से ज्यादा छात्रों के लिए गंभीर परिणाम होंगे.
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज कर दिया कि व्यवस्थित तरीके से पेपर लीक हुए. कोर्ट ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक की घटना हजारीबाग और पटना में हुई थी- यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है. बेंच ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की स्थिति रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हजारीबाग और पटना के एग्जाम सेंटर्स के 155 छात्र धोखाधड़ी के लाभार्थी प्रतीत होते हैं.
बेंच कहा कि चूंकि दागी छात्रों को अन्य छात्रों से अलग पहचाना जा सकता है, इसलिए याचिकाकर्ताओं के इस तर्क में कोई दम नहीं है कि दोबारा परीक्षा ही एकमात्र विकल्प है. कोर्ट ने इसके साथ ही विभिन्न कारणों से 1,563 छात्रों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने के एनटीए के निर्णय को भी बरकरार रखा.