Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत हासिल हुई है. जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार देने का आदेश दिया है. इस पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ''हम इलाहाबाद हाई कोर्ट में कैविएट फाइल करेंगे. अगर कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा तो हम वहां पर तैयार रहेंगे.''


हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर बुधवार (31 जनवरी) को वाराणसी की जिला अदालत ने व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार देने का आदेश दिया. इसके साथ ही एक और प्रार्थना पत्र पर वाराणसी जिला न्यायालय ने आदेश देते हुए ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ की व्यवस्था तय करने का निर्देश दिया. 


क्या है व्यास तहखाना?
व्यास तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर स्थित है. भगवान नंदी की मूर्ति के ठीक सामने ये तहखाना है. ज्ञानवापी के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद है. इस तहखाने में 1993 तक पूजा होती थी. नवंबर 1993 में पूजा पर रोक लगा दी गई. पूजा पर रोक लगने के बाद यहां के पुजारियों को हटा दिया गया.


सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा-पाठ करता था. 1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजा बंद हो गई थी. 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कब्जे में लिया था.


एएसआई सर्वे की कार्रवाई के दौरान तहखाने साफ-सफाई हुई थी. काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अधीन तहखाने में पूजा की जाएगी. कई देवी देवताओं की मूर्तियां तहखाने में मौजूद है. 


क्या है कोर्ट का आदेश?
वाराणसी की जिला अदालत ने व्यास तहखाने में पूजा की इजाजत दे दी है. इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष को फिर से व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार मिल गया है. हिंदू पक्ष की ओर से दिए गए अन्य प्रार्थना पत्र पर वाराणसी जिला कोर्ट 7 दिन में प्रशासन को व्यवस्था करने का आदेश भी दिया है.


'हिंदू अपने अधिकारों से वंचित रहा है'
बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने कोर्ट के फैसले पर एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, ''हिंदुस्तान में हिंदू अपने ही अधिकारों से वंचित रहा हैं. माननीय न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है. ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट का उत्तम फैसला, हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी में बेसमेंट में पूजा करने की अनुमति मिली.''


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