Aero India 2023: 'तूफान आ रहा है...', एयरो-इंडिया शो में दिखा हनुमान जी के चित्र वाला स्वदेशी ट्रेनर एयरक्राफ्ट, जानें क्या है इसका मतलब?
Aero Show Video: भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट फिलहाल सभी विदेशी ट्रेनर एयरक्राफ्ट पर ही अपनी ट्रेनिंग लेते हैं.
Aero Show Bengaluru: बेंगलुरु में शुरू हुए 14वें एयरो-इंडिया शो में मुख्य आकर्षण है हनुमान जी के चित्र वाला स्वदेशी ट्रेनर एयरक्राफ्ट. एचएएल ने अपने पवेलियन में इस सुपरसोनिक ट्रेनर फाइटर एयरक्राफ्ट का मॉडल लगाया है. ये भारत का पहला सुपरसोनिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट है जिसका डिजाइन बनकर तैयार हो चुका है.
हिंदुस्तान लीड ट्रेनर एयरक्राफ्ट (एचएलएफटी-42) को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने फाइटर पायलट के प्रशिक्षण के लिए डिजाइन किया है. एचएलएफटी के तैयार होने पर देश के फाइटर पायलट इसी पर फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट उड़ाने की ट्रेनिंग लेंगे. एचएएल के पास फिलहाल जो ट्रेनर एयरक्राफ्ट है वो सिंगल इंजन लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस है. लेकिन एचएलएफटी टू-इन इंजन वाले लड़ाकू विमानों के लिए होगा.
बेसिक ट्रेनिंग के लिए पिलेट्स
भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट फिलहाल सभी विदेशी ट्रेनर एयरक्राफ्ट पर ही अपनी ट्रेनिंग लेते हैं. बेसिक ट्रेनिंग के लिए पिलेट्स और हॉक-आई एयरक्राफ्ट हैं. इसके अलावा इंटरमीडिएट ट्रेनर जेट और एडवांस ट्रेनर जेट भी विदेशी एयरक्राफ्ट हैं. एचएएल ने हाल ही में एचटीटी-40 (बेसिक) ट्रेनर एयरक्राफ्ट तैयार किया है और जल्द ही वायुसेना में शामिल हो जाएगा. पिछले साल यानि अक्टूबर 2020 में डिफेंस एक्सपो के दौरान वायुसेना ने एचएएल से 106 एचटीटी एयरक्राफ्ट का करार किया था.
विमान के उपर हनुमान जी का एक चित्र लगाया
इस विमान के मॉडल पर हाथ में गदा लेकर उड़ान भरते हनुमान जी का एक चित्र लगाया गया है और लिखा है 'स्टॉर्म इज कमिंग' यानि तूफान आ रहा है. आखिर हनुमान जी की तस्वीर इस मॉडल पर क्यों लगाई गई है इस पर एबीपी न्यूज़ ने खास बातचीत की एचएएल के सीनियर टेस्ट पायलट, ग्रुप कैप्टन एच वी ठाकुर से.
विमान का नाम मारुत रखा गया
ग्रुप कैप्टन ठाकुर ने बताया कि 60 के दशक में एचएएल ने जो अपना पहला लड़ाकू विमान, एचटी-24 बनाया था उसका नाम मारुत रखा गया था. हनुमान जी को मारुत के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वे मारुति यानि पवन-देव के पुत्र थे. इसलिए हनुमान जी को मारुति-नंदन या फिर पवन-पुत्र हनुमान के नाम से भी जाना जाता है. उसी मारुत विमान की परंपरा को बढ़ाते हुए एचएएल ने एचएलएफटी-42 पर पवन-पुत्र हनुमान की तस्वीर लगाई है.
हनुमान रातों-रात संजीवनी बूटी लेकर आ गए
जैसा कि हम जानते हैं कि हनुमान जी हवा में उड़ान भर सकते थे और एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए आसमान के रास्ते भी जाते थे. रामायण में मेघनाद से युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण घायल हो गए थे तो भगवान राम के आदेश पर हनुमान जी हिमालय पर्वत से रातो-रात संजीवनी बूटी लेकर आ गए थे. लंका (आज के श्रीलंका से) उत्तराखंड के जोशीमठ के करीब जहां द्रोणागिरी पर्वत था उसकी एरियल दूरी करीह 2500 किलोमीटर है. यानि आना जाना 5000 किलोमीटर. क्योंकि हनुमान जी ने एक रात में ही ये पूरा सफर तय कर लिया था ऐसे में उनकी स्पीड भी सुपरसोनिक रही होगी, सुपरसोनिक यानि आवाज की गति 1236 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. हनुमान जी ने रातों-रात ये सफर इसलिए तय किया था क्योंकि वैद्य ने साफ कह दिया था कि अगर सुबह तक संजीवनी बूटी नहीं लेकर आए तो लक्ष्मण जी की जान खतरे में पड़ सकती है.
ग्रुप कैप्टन ठाकुर के मुताबिक, एचएलएफटी अगले दशक यानि 2030 के बाद बनकर तैयार हो जाएगा. उस वक्त तक भारत का स्वदेशी स्टील्थ एयरक्राफ्ट, एमका (एमसीए--मीडियम कॉम्बेट स्टेल्थ एयरक्राफ्ट) और एलसीए-मार्क 2 भी बनकर तैयार हो जाएंगे. ऐसे में इन लड़ाकू विमानों को उड़ाने से पहले एचएलएफटी-42 पर ही पायलट ट्रेनिंग लेंगे.