Aero India: भारतीय वायु सेना धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही है और इसकी झलक पूरी दुनिया बेंगलुरु में जारी एयरो इंडिया 2023 में देख रही है. बेंगलुरू के बाहरी इलाके में स्थित येलहंका वायुसेना स्टेशन परिसर में एयरो इंडिया के 14वां संस्करण का आयोजन किया गया है. 13 फरवरी से शुरु हुआ एयरो शो 17 फरवरी तक जारी रहेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे बड़े एयरो शो का 13 फरवरी को उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने भारत की रक्षा क्षेत्र में बढ़ती ताकत का खाका भी पेश किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बेंगलुरु का आसमान आज नए भारत के सामर्थ्य का साक्षी बन रहा है. बेंगलुरु का आसमान आज इस बात की गवाही दे रहा है कि नई ऊंचाई, नए भारत की सच्चाई है. आज देश नई ऊंचाइयों को छू भी रहा है, और उन्हें पार भी कर रहा है.
अब तक का सबसे बड़ा एयरो इंडिया
पीएम मोदी ने एयरो इंडिया के आयोजन को भारत के बढ़ते सामर्थ्य का परिचायक बताया. भारत की सबसे बड़ी एरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी 'एयरो इंडिया 2023' में करीब 100 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. प्रधानमंत्री ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि ये आकड़े बताते हैं कि भारत पर पूरी दुनिया का भरोसा कितना बढ़ गया है. एयरो शो में देश-विदेश के 700 से ज्यादा इग्ज़िबिटर्स (exhibitors) हिस्सा ले रहे हैं. इस बार के एयरो शो में पुराने सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. इसमें भारतीय MSMEs के साथ ही स्वदेशी स्टार्टअप्स और दुनिया की जानी-मानी कंपनियां हिस्सा ले रही हैं.
'द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज'
इस बार एयरो इंडिया की थीम 'द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज' है. इसका मकसद रक्षा और एरोस्पेस क्षेत्र में भारत की प्रगति और क्षमताओं से दुनिया को अवगत कराना है. यहां एयरो इंडिया के साथ ही रक्षा मंत्रियों का कॉन्क्लेव और सीईओ राउंड टेबल का भी आयोजन हो रहा है. दुनिया के अलग-अलग देशों और सीइओज़ की सक्रिय भागीदारी से एयरो इंडिया के ग्लोबल पोटेंशियल को और बढ़ाने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री का मानना है कि एयरो इंडिया मित्र देशों के साथ भारत की विश्वसनीय रक्षा भागीदारी को आगे ले जाने का भी एक जरिया बनेगा.
दुनिया के लिए नया विकल्प और अवसर
'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत देश का रक्षा सामर्थ्य लगातार बढ़ रहा है. ये भारत के साथ ही दुनिया के बाकी देशों के लिए भी नया विकल्प और बेहतर अवसर है. आकाश में गर्जना करते तेजस लड़ाकू विमान 'मेक इन इंडिया' के सामर्थ्य का प्रमाण हैं. हिन्द महासागर में मुस्तैद एयरक्राफ़्ट कैरियर INS विक्रांत 'मेक इन इंडिया' के विस्तार का सबूत है. गुजरात के वडोदरा में C-295 की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी या फिर तुमकुरू में HAL की हेलीकॉप्टर यूनिट, ये सभी भारत की बढ़ती ताकत का नया अध्याय है. एयरो इंडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भरोसा दिलाते है कि भारत में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने का सिलसिला आगे और भी तेज गति से बढ़ेगा, तो जाहिर है कि अब भारत रक्षा क्षेत्र में जल्द ही और बड़ी ताकत बनना चाहता है.
डिफेंस इंपोर्टर से एक्सपोर्टर बनने की राह
रक्षा क्षेत्र की तकनीक, बाज़ार और बिजनेस को सबसे ज्यादा जटिल माना जाता है. फिर भी पिछले 8-9 साल के अंदर 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है. 21वीं सदी में हमारा देश नए भारत की राह पर है. 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के साथ रक्षा क्षेत्र की तस्वीर भी बदलने में लगा है. सुधार के रास्ते हर क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव लाया जा रहा है. भारत दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा डिफेंस इंपोर्टर रहा है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. फिलहाल भारत दुनिया के 75 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है. पिछले 6 साल में देश का रक्षा निर्यात 6 गुना बढ़ा है. 2021-22 में भारत ने अब तक के रिकॉर्ड 1.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा के निर्यात के आंकड़े को भी पार कर लिया है.
रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए निजी निवेश
भारत 2024-25 तक रक्षा निर्यात को डेढ़ बिलियन से बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर तक लेने जाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है. आने वाले दिनों में भारत, दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस मैन्युफैक्चरर देशों में शामिल होने के लिए तेजी से कदम उठाएगा. एयरो शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका भी एलान किया. इस दिशा में निजी क्षेत्र और निजी निवेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. पीएम मोदी ने भी देश के प्राइवेट सेक्टर से भारत के रक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर निवेश करने की अपील की. भारत में रक्षा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को मंजूरी देने के नियमों को आसान बनाया गया है. अब कई सेक्टर में एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से मंजूरी मिली है. उद्योगों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए उसकी वैलिडिटी बढ़ाई गई है. इस बार के केंद्रीय बजट में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को भी बढ़ाया गया है, जिसका लाभ रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को भी होने वाला है.
अब तक का सबसे बड़ा एयरो इंडिया
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि एयरो इंडिया अब सिर्फ एक शो नहीं है, बल्कि ये भारत की ताकत को दिखाता है. ये इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री के स्कोप और आत्म-विश्वास को भी फोकस करता है. पांच दिवसीय प्रदर्शनी में 700 से अधिक रक्षा कंपनियां और 98 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इसमें 32 देशों के रक्षा मंत्रियों, 29 देशों के वायु सेना प्रमुखों के साथ ही रक्षा क्षेत्र में उपकरण बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों के 70 से ज्यादा सीईओ भाग ले रहे हैं. एयरो इंडिया का 2023 संस्करण भारत को सैन्य विमान, हेलीकॉप्टर, सैन्य उपकरण और नए युग के एवियोनिक्स के निर्माण के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में प्रदर्शित कर रहा है. इसमें एयरबस, बोइंग, डसॉल्ट एविएशन, लॉकहीड मार्टिन, इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्री, ब्रह्मोस एयरोस्पेस, आर्मी एविएशन, एचसी रोबोटिक्स, एसएएबी, सफरान, रोल्स रॉयस, लार्सन एंड टुब्रो, भारत फोर्ज लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और बीईएमएल लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियां प्रमुख प्रदर्शक ((exhibitors) हैं. इसमें 251 कंपनी से कंपनी समझौते (B2B) होने की उम्मीद है, जिससे 75,000 करोड़ रुपये के निवेश मिलने की संभावना है. एयरो इंडिया से देश और विदेश की कंपनियों के साथ नई साझेदारी बनेगी, जिससे डिफेंस एविएशन में सामूहिक विकास का रास्ता खुलेगा.
एयरोस्पेस सेक्टर होगा मजबूत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भी कहना है कि एयरो इंडिया 2023 देश की विनिर्माण क्षमता और 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार करने की दिशा में हुई प्रगति को प्रदर्शित करने वाला रक्षा शो है. इसके आयोजन से एयरोस्पेस और विमानन क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा. एयरो इंडिया 2023 से देश के समग्र विकास में तो मदद मिलेगी ही. साथ-साथ रक्षा में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विश्व स्तरीय घरेलू रक्षा उद्योग बनाने के सरकार के प्रयासों को सफलता भी मिलेगी. आने वाले समय में मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के बल पर ही भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में एक बनेगा. रक्षा क्षेत्र ख़ासकर एरोस्पेस में भारत सरकार 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' का नजरिया लेकर आगे बढ़ रही है. इसके तहत स्वदेशी उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी और बढ़ेगी. एयरो इंडिया-2023 में अमेरिका ने अबतक का अपना सबसे बडा प्रतिनिधिमंडल भेजा है.
अगली पीढ़ी का सुपरसोनिक लड़ाकू प्रशिक्षण विमान
एयरो इंडिया में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पहली बार अगली पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू प्रशिक्षण विमान के प्रतिरूप (स्केल मॉडल) का प्रदर्शन कर रहा है. एचएएल कंपनी में तैयार हिंदुस्तान लीड इन फाइटर ट्रेनर (HLFT-42) के स्केल मॉडल से दुनिया का परिचय होगा. एचएलएफटी-42 अगली पीढ़ी का सुपरसोनिक लड़ाकू प्रशिक्षण विमान है. ये आधुनिक लड़ाकू विमान के प्रशिक्षण में अहम भूमिका निभाएगा. इस विमान में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड अरे, एलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, वायर कंट्रोल प्रणाली से इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक विद फ्लाई जैसी आधुनिक एविएशन सुविधाएं मौजूद हैं. साथ ही एचएएल की ओर से 15 हेलीकॉप्टर की मदद से 'आत्मनिर्भर फॉर्मेशन उड़ान' का भी प्रदर्शन देखने को मिलेगा. इसमें आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर के हर प्रकार, प्रचंड हल्के युद्धक हेलीकॉप्टर और हल्के यूटिलिटी हेलीकॉप्टर शामिल हैं. शो में एचएएल के इनडोर पवेलियन का प्रमुख आकर्षण भारतीय मल्टी रोल हेलीकॉप्टर का स्केल मॉडल, अगली पीढ़ी का एचएलएफटी-42 और एलसीए एमके 2, हिंदुस्तान टर्बो-शाफ्ट इंजन-1200, आरयूएवी, एलसीए ट्रेनर और हिंदुस्तान-228 के मॉडल हैं.
स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा
सरकार स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने का लगातार प्रयास कर रही है. भारतीय रक्षा क्षेत्र अब बदलाव के मुहाने पर है. सरकार ने 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के लिए फोकस क्षेत्र के रूप में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र (Defence and Aerospace sector ) की पहचान की है. इसके तहत जरूरी अनुसंधान और डेवलपेंट इकोसिस्टम के जरिए मजबूत स्वदेशी विनिर्माण बुनियादी ढांचा (indigenous manufacturing infrastructure) बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है. भारत का विजन है कि 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 5 अरब डॉलर के निर्यात समेत 25 अरब डॉलर का कारोबार हासिल हो.
घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस
सैन्य खर्च के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है. हमारा रक्षा बजट जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा है. वित्त वर्ष 2023-24 के केन्द्रीय बजट में से रक्षा मंत्रालय को कुल 5,93,537.64 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. ये कुल बजट का 13.18 प्रतिशत है. अगले 5 से 7 वर्षों में भारत सभी सशस्त्र सेवाओं में बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है. रक्षा क्षेत्र में घरेलू पूंजीगत खरीद के हिस्सा को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप, घरेलू पूंजीगत खरीद का हिस्सा, 2021-22 में 64% निर्धारित किया गया था, जिसे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा सेवाओं के पूंजीगत अधिग्रहण बजट को 68% तक बढ़ाया गया. रक्षा मंत्रालय ने तीन 'सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों' को अधिसूचित किया है, जिसमें स्थानीय स्तर पर बनने वाले 310 रक्षा उपकरणों को शामिल किया गया है. इसके अलावा निर्यात को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को उदार बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से 74% और सरकारी रूट से 100% तक बढ़ाया गया है. रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को गति प्रदान करने के लिए एक मजबूत ईको-सिस्टम और सहायक सरकारी नीतियों को विकसित करना बेहद जरूरी है. अक्टूबर 2022 तक रक्षा क्षेत्र में काम कर रही 366 कंपनियों को कुल 595 औद्योगिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं. रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भरता और निर्यात के लिए देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के मकसद से रक्षा उत्पादन एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति 2020 तैयार किया था.
एयरोस्पेस और रक्षा बाज़ार का बढ़ेगा आकार
भारत में एयरोस्पेस और रक्षा बाज़ार 2030 तक करीब 70 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. बुनियादी ढांचे में सुधार और सरकारी प्रयासों में गति से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है. विकसित देशों की तुलना में आज भले ही भारतीय एयरोस्पेस उद्योग 250 मिलियन डॉलर के साथ छोटा है. लेकिन अगले 10 साल में इसमें हम काफी आगे पहुंचने वाले हैं. भारत फिलहाल एयरो स्पेस इंडस्ट्री के मामले में तीसरे पायदान पर है. भारतीय एयरोस्पेस उद्योग सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है.
भारत की गिनती दुनिया के सबसे बड़े सैन्य बलों में से एक में होती है. आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण कार्यक्रमों को देखते हुए, भारत में एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में निर्णायक बदलाव आना वाला है. आज दुनिया की डिफेंस कंपनियों के लिए भारत सिर्फ एक बाज़ार नहीं रह गया है. आज भारत मजबूत और संभावनाओं वाला रक्षा भागीदार भी है. ये साझेदारी उन देशों के साथ भी है जो डिफेंस सेक्टर में काफी आगे हैं. जो देश अपनी रक्षा जरूरतों के लिए एक भरोसेमंद साथी तलाश रहे हैं, भारत उनके लिए भी एक बेहतर साझेदार बनकर उभर रहा है. भारत के रक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि यहां की टेक्नोलॉजी दूसरे देशों के लिए कम लागत (cost effective) में उपलब्ध होने के साथ ही भरोसेमंद भी है. अब पूरी दुनिया को ये एहसास हो गया कि रक्षा क्षेत्र में भारत में अच्छे से अच्छे इनोवेशन के साथ ही मजबूत इरादे वाला साझेदार भी मिलेगा.
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