एयरो इंडिया: HAL की ओर से तैयार किया जा रहा कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम, दुश्मन को ऐसे करेगा तबाह
दुश्मन की सीमा में एयर-स्पेस से हमला करने के लिए कैट का वॉरियर-ड्रोन सबसे आगे होगा. वॉरियर एक कॉम्बैट-ड्रोन है, जो मिसाइलों से लैस होगा. उसके पीछे तेजस फाइटर जेट होगा.
नई दिल्ली: एयरो-इंडिया शो के दौरान मॉर्डन वॉरफेयर की तकनीक भी देखने को मिल रही है. ऐसी ही एक तकनीक है कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम यानि कैट सिस्टम. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के जरिए तैयार किए गए इस सिस्टम में फाइटर जेट और ड्रोन को एक साथ मिलकर दुश्मन पर हमला करने के लिए तैयार किया जा रहा है. कैट सिस्टम में एचएएल ने एलसीए-तेजस फाइटर जेट के साथ तैयार किया है.
इसमें तेजस के साथ ही तीन अलग-अलग ड्रोन-सिस्टम्स को इंटीग्रेट किया गया है. इन तीन ड्रोन्स को नाम दिया गया है- वॉरियर, अल्फा और हंटर लेकिन इन सभी का कंट्रोल तेजस के फाइटर पायलट के पास होगा. दुश्मन की सीमा में एयर-स्पेस से हमला करने के लिए कैट का वॉरियर-ड्रोन सबसे आगे होगा. वॉरियर एक कॉम्बैट-ड्रोन है, जो मिसाइलों से लैस होगा. उसके पीछे तेजस फाइटर जेट होगा. अल्फा और हंटर ड्रोन फाइटर जेट के साथ ही इंटीग्रेट होंगे, ठीक वैसे ही जैसा कि कोई वैपन या फिर पेयलोड होता है.
अल्फा यूएवी दरअसल, स्वार्म-ड्रोन तकनीक पर आधारित है. इसको लॉन्च करते ही अल्फा यूएवी से चार बेबी ड्रोन निकलेंगे और वो दुश्मन के इलाके का सर्विलांस करके पूरी जानकारी फाइटर पायलट को देंगे. ये एक तरह से टोही-ड्रोन की तरह काम करेंगे. तेजस में एक साथ दो अल्फा-यूएवी लग सकते हैं. हंटर यूएवी एक प्रेसिसयन बम की तरह है, जिसे दुश्मन की किसी छावनी या फिर आंतकी अड्डे को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
एचएएल के प्रोजेक्ट मैनेजर श्रीकांत ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि अगले चार साल में कैट-सिस्टम पूरी तरह से तैयार हो जाएगा और वायुसेना के हवाले कर दिया जाएगा. तेजस के अलावा इसे राफेल, सुखोई या फिर किसी दूसरे लड़ाकू विमान के साथ भी इंटीग्रेट किया जा सकता है.
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