एयरो-इंडिया शो: पहली बार नज़र आई एंटी ड्रोन गन, जानिए क्या है इसकी खासियत
क्रॉउन ग्रुप के मुताबिक इस गन का वजन करीब तीन किलो है. ऐसे में कोई भी सैनिक इस एंटी-ड्रोन गन को अपने कंधे पर टांगकर बॉर्डर पर पैट्रोलिंग पर जा सकता है.
बेंगलुरु: एयरो-इंडिया के दौरान पहली बार एक एंटी-ड्रोन गन देखने को मिली है. स्वदेशी कंपनी, क्रॉउन ग्रुप ने ड्रोन को मार गिराने वाली इस गन को तैयार किया है. खास बात ये है कि पाकिस्तान से सटी एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हाल के दिनों में लगातार ड्रोन के जरिए आतंकियों की मदद के लिए जो हथियारों की घुसपैठ की जा रही है, उससे निपटने के लिए ये एंटी-ड्रोन गन बेहद खास है.
क्रॉउन ग्रुप ने एयरो-इंडिया शो में अपने पवेलियन में इस गन को प्रदर्शित किया है. ग्रुप के सीईओ, ब्रिगेडियर (रिटायर) राम छिल्लर के मुताबिक, एंटी-ड्रोन के लिए अभी तक जो तकनीक हैं उनकी अपनी कमियां हैं. पहला तो ये कि वे निश्चित जगह के आसपास ही काम कर सकती हैं. या फिर जो मिसाइलें इत्यादि हैं वे एक छोटे से ड्रोन या यूएवी को मार गिराने के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकती है, क्योंकि वो एक महंगा सौदा होता है. इसलिए क्रॉउन ग्रुप ने हैंड-हेल्ड गन तैयार की है.
क्रॉउन ग्रुप के मुताबिक इस गन का वजन करीब तीन किलो है. ऐसे में कोई भी सैनिक इस एंटी-ड्रोन गन को अपने कंधे पर टांगकर बॉर्डर पर पैट्रोलिंग पर जा सकता है. ऐसे में भारत की जो लंबी सरहदें हैं, वहां पर तैनात सैनिक इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं. इस गन की रेंज करीब डेढ़ किलोमीटर है. ऐसे में कोई भी सैनिक दुश्मन की सीमा से जैसे ही कोई ड्रोन हमारी सीमा में दाखिल होने की कोशिश करता है तो उसे मार गिरा सकता है. सैनिकों के पैट्रोलिंग के साथ साथ इन्हें एलओसी के एफडीएल और चौकियों पर भी तैनात किया जा सकता है.
इस एंटी-ड्रोन को देखने और उसे खरीदने में भारतीय सेना की उन फॉर्मेशन्स ने दिलचस्पी दिखाई है जो एलओसी और पाकिस्तानी सीमा पर तैनात हैं.
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