नई दिल्लीः 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा बना लेने के बाद अब तालिबान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से भी राहत चाहत है. गौरतलब है कि तालिबान के कई नेताओं के नाम आज भी सुरक्षा परिषद की सैंक्शन लिस्ट पर मौजूद हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सूची के मुताबिक 1988 सैंक्शन कमिटी की लिस्ट में तालिबान के 135 नेताओं के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट में तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर का नाम शामिल है, साथ ही हक़्क़ानी नेटवर्क के सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी शामिल है. हक्कानी नेटवर्क वहीं नेटवर्क है जो पाकिस्तानी एजेंसी ISI के इशारे पर काम करता रहा है और अब तालिबानी सरकार में शामिल हो सकता है.
बड़ी और दिलचस्प, जानकारी के मुताबिक 23 फरवरी 2001 को अब्दुल गनी बरादर को 1988 सैंक्शन लिस्ट में शामिल किया गया था. उस वक्त वह तालिबान हुकूमत के डिप्टी रक्षा मंत्री हुआ करते था. बरादर तब तालिबान मिलिट्री के सीनियर कमांडर और तालिबान नेतृत्व के वरिष्ठ सदस्य था. उसे तब मोहम्मद मुल्लाह उमर का करीबी कहा जाता था. प्रतिबंधित सूची में तालिबान से जुड़े 5 समूह शामिल हैं, जिसमें हक़्क़ानी नेटवर्क को भी 29 जून 2012 में शामिल किया गया था.
सैंक्शन लगाए जाने पर तालिबानी नेताओं की यात्रा, फंडिन्ग और हथियारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन फिलहाल अब्दुल गनी बरादर समेत कुछ तालिबान नेताओं को इन प्रतिबंधों से राहत दी गई है ताकि वह अन्य देशों की यात्रा कर सके और शांति वार्ता में शामिल हो सके.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वेबसाइट के अनुसार 23 जून 2021 को अब्दुल गनी बरादर और कुछ अन्य तालिबानी नेताओं की यात्रा प्रतिबंध पर छूट को 90 दिनों का विस्तार दिया गया था, जो 22 सितंबर 2021 में खत्म होगा.
सत्ता में आने के साथ ही तालिबान चाहता है कि उसके नेताओं के नाम प्रतिबंधित सूची से हटाए जाएं. लेकिन प्रतिबंधित सूची से बाहर निकलना इतना आसान नहीं होगा. हालांकि इस संबंध में अमेरिका तालिबान से वादा कर चुका है. पिछले साल 29 फरवरी को तालिबान और अमेरिका के बीच शांति समझौता हुआ था जिसमें अमेरिका ये वादा कर चुका है कि वो UN सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों से बातचीत कर तालिबानी नेताओं को सैंक्शन लिस्ट से हटाने के लिए ज़रूरी कदम उठाएगा.
1988 सैंक्शन समिति के के अनुसार सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची से बाहर निकलने के लिए किसी एक सदस्य को, चाहे वो सुरक्षा परिषद का सदस्य ना भी हो, प्रस्ताव रखना होता है और परिषद के सभी 15 सदस्यों को उस प्रस्ताव का समर्थन करना होता है.
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