Afghanistan-All Party Meet: अफगानिस्तान के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. करीब 3 घंटे तक चली इस बैठक के दौरान विदेश मंत्रालय ने बैठक की शुरुआत में एक प्रेजेंटेशन दिया और उस प्रेजेंटेशन के बाद तमाम दलों के नेताओं ने विदेश मंत्री और विदेश सचिव से भारत की नीति और रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े तमाम मुद्दों पर सवाल पूछे. बैठक के बाद अधिकतर दलों के सांसदों का कहना था कि केंद्र सरकार ने जो जानकारी दी है, उससे वो संतुष्ट हैं और राष्ट्रहित और विदेश नीति जैसे मुद्दे पर सरकार के साथ में है. लेकिन आईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार के द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी कई अहम सवालों का जवाब नहीं मिलने की बात कही. ओवैसी ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री और विदेश सचिव से कुछ सवाल पूछे जिनका जवाब उनको नहीं मिल पाया.
ABP News को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान पर आज हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने माना कि अफगानिस्तान में तालिबानी कब्ज़े के आखरी तीन दिनों में जो कुछ भी हुआ उसको भारत भाप नहीं सका था. यही नहीं जब उनसे एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने तालिबान के साथ भारत सरकार के रुख और तालिबान से संपर्क पर सवाल पूछा तो विदेश मंत्री ने कहा कि अगर संबंधित पक्षों से संपर्क ना किया होता तो भारत इतने सारे लोगों को काबुल से वापस कैसे ला पाता.
अफगानिस्तान मुद्दे पर करीब तीन घंटे चली बैठक
संसद भवन परिसर में करीबन 3 घंटे तक अफगानिस्तान के मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक चली. इस बैठक में तमाम राजनीतिक दलों के राजनेता मौजूद थे. बैठक के दौरान विदेश मंत्रालय की तरफ से बैठक में मौजूद सभी राजनेताओं के सामने विदेश मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम और विदेशी नीति को लेकर जानकारी साझा की गई. जिनके बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक के बाद मीडिया के सामने भी विस्तृत जानकारी दी.
बैठक खत्म होने के बाद बैठक में मौजूद तमाम दल के नेताओं ने विस्तार से जानकारी दी कि आखिर बैठक के दौरान क्या हुआ? उन्होंने विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री से क्या सवाल पूछे जिस पर विदेश मंत्री की तरफ से क्या जवाब दिए गए? कांग्रेस की तरफ से अफ़ग़ान सांसद को डिपोर्ट करने का मुद्दा भी इस बैठक के दौरान उठाया गया. जिस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वह एक चूक हुई है और भविष्य में इस तरीके की चूक नहीं होगी.
क्या सीमापार से बढ़ा खतरा?
बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, डीएमके, अपना दल समेत तमाम राजनीतिक दलों के राजनेता मौजूद थे. बैठक के बाद तमाम राजनीतिक दलों के राजनेताओं का कहना था कि उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि क्या अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत में सीमा पार आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है, जिस पर विदेश मंत्री ने जवाब दिया कि सरकार हर तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार है.
इसके बाद बैठक में अफगानिस्तान में भारत सरकार द्वारा किए गए निवेश और विकास कार्यों को लेकर सवाल पूछा गया कि भारत सरकार ने जो निवेश और विकास कार्य किए हैं अब उनका भविष्य क्या होगा? क्या इस बारे में सरकार की कोई योजना है?? सरकार की तरफ से जवाब दिया गया कि सरकार ऐसे सभी प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह सतर्क है और आने वाले दिनों में स्थिति को देखते हुए फैसले किए जाएंगे.
10 दिनों में 800 से ज्यादा को रेस्क्यू
तमाम विपक्षी दलों के राजनेताओं ने सरकार से अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों और अफगान नागरिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर भी सवाल पूछे. जिसका सरकार ने जवाब दिया. सरकार ने पिछले 10 दिनों के दौरान 800 से ज्यादा ऐसे लोगों को अफगानिस्तान से निकालकर भारत पहुंचाया है और आने वाले दिनों में भी ये रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहेगा.
तमाम विपक्षी दलों के राजनेताओं ने तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान के साथ भारत सरकार की विदेश नीति को लेकर भी सवाल पूछे. इस पर विदेश मंत्री की तरफ से जवाब दिया गया कि फिलहाल दुनिया के अन्य देशों की तर्ज पर ही भारत भी वेट एंड वॉच की पॉलिसी ही अपना रहा है.
इसके अलावा कुछ राजनेताओं ने अफगानिस्तान के छात्रों का मुद्दा भी उठाते हुए सवाल पूछा कि जो अफगानिस्तान के छात्र भारत में है और उनका परिवार अफगानिस्तान में फंसा हुआ है, ऐसे मामलों में सरकार की क्या योजना है? इस पर जवाब दिया गया कि ऐसे सभी मामले भी केंद्र सरकार के संज्ञान में है और सरकार उनको लेकर भी योजना तैयार कर रही है.
वामपंथी नेता एन.के. प्रेमचंद्रन ने बैठक में सवाल उठाए कि सरकार जिस अमेरिका को अपना सबसे बड़ा साथी मान रही है, उसने अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत को भरोसे में ही नहीं लिया. ऐसे में सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए?
टीएमसी ने उठाया सीएए का मुद्दा
इस बैठक के दौरान टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने अफगानिस्तान संकट के मद्देनजर सीएए के मुद्दे को विभाजन कारी करार देते हुए सरकार से उसमें बदलाव करने को कहा. हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया कि फिलहाल अभी के हालातों में इस पर चर्चा नहीं की जा सकती. वही शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने कहा कि सीएए एक अच्छी नीति साबित हुई है, जिसका असर अब समझ में आ रहा है. इसके जरिए अफगानिस्तान में फंसे हिंदुओं और सिखों को लाना और सुरक्षित रखना अधिक मुमकिन हुआ है.
हालांकि इसी बैठक में मौजूद एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस सर्वदलीय बैठक में सरकार द्वारा दिए गए जवाबों से नाखुशी भी जाहिर की. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री से कई सारे सवाल पूछे जिनका उनको संतोषजनक जवाब नहीं मिला. ओवैसी के मुताबिक उन्होंने विदेश मंत्री से पूछा कि अगर आपकी अमेरिका से दोस्ती थी तो अमेरिका ने अपने हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद क्यों नहीं की?
- अमेरिका ने वहां से निकलने की तैयारी कर लिया भारत को बताया भी नहीं?
- क्या जिन तालिबानियों ने भारतीय दूतावास पर हमला कर एक अधिकारी की हत्या की थी उनको सरकार मान्यता देने की तैयारी कर रही है?
- क्या भारत सरकार तालिबान पर यूएन सैंक्शन लगाएगी, क्योंकि आज की तारीख में भारत के पास इस बात का अधिकार है?
- तालिबान के आने से निश्चित तौर पर भारत में सीमा पार आतंकवाद का खतरा बढ़ेगा उसको लेकर सरकार क्या कर रही है?
- अगर सरकार ने 20 साल में अफगानिस्तान में इतना बड़ा निवेश किया और विकास कार्य किया तो आखिर हमको वहां पर बातचीत करने के लिए दूसरे देशों की मदद क्यों लेनी पड़ रही है?
कुल मिलाकर इस सर्वदलीय बैठक के जरिए केंद्र सरकार ने कोशिश की कि तमाम विपक्षी दलों की तरफ से उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया जा सके और उनको अफगानिस्तान के मुद्दे पर साथ लाया जा सके. करीबन 3 घंटे तक चली इस बैठक के बाद फिलहाल तमाम विपक्षी दलों की तरफ से केंद्र सरकार द्वारा की गई इस पहल को एक अच्छी पहल भी करा दिया गया और इस बैठक के बाद तमाम दलों ने सरकार के साथ होने की बात भी की.
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