Afghanistan Crisis: नेशनल कॉन्फेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भारत सरकार को तालिबान से बातचीत करने की सलाह दी है. उनके इस बयान की चर्चा हो रही है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब हमने उस देश में इतना कुछ निवेश किया हुआ है, तो उनसे रिश्ते रखने में क्या हर्ज़ है.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "अफगानिस्तान में तालिबान के पास सत्ता है. अफगानिस्तान में पिछली शासन के दौरान भारत ने अलग अलग प्रोजेक्ट पर अरबों रुपये खर्च किए हैं. हमें वर्तमान अफगान शासन से बात करनी चाहिए. हमने उस देश में बहुत निवेश किया है, तो उनसे रिश्ते रखने में हर्ज़ क्या है?"
भारत ने किया है हज़ारों करोड़ का निवेश
आपको बता दें कि पिछले शासन के दौरान भारत ने अफगानिस्तान में करीब 23 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के संसद भवन का निर्माण किया है और अफ़ग़ानिस्तान के साथ मिलकर एक बड़ा बांध भी बनाया है. हमने शिक्षा और तकनीकी सहायता भी दी है. साथ ही, भारत ने अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों में निवेश को भी प्रोत्साहित किया है.
अफगानिस्तान पर अमेरिका और भारत का साझा बयान
भारत और अमेरिका ने तालिबान से अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यक समूहों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है. दोनों देशों ने अफगानिस्तान के नये शासकों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि युद्धग्रस्त देश की धरती का इस्तेमाल किसी भी अन्य देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह या प्रशिक्षण देने के लिए फिर से न हो.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को यहां पहली आमने-सामने की बैठक के बाद संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर विशेष जोर दिया.
संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने संकल्प किया कि तालिबान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करना चाहिए जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी अन्य देश को धमकाने या उसपर हमला करने या किसी आतंकवादी को प्रशिक्षित करने या शरण देने या आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने के लिए दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर जोर दिया.
यह प्रस्ताव अगस्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के दौरान मंजूर किया गया था.
बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने तालिबान का प्रस्ताव की इन बातों और तमाम दूसरी प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करने के लिए आह्वान किया है जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों का अफगानिस्तान से सुरक्षित, एवं व्यवस्थित प्रस्थान और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करना शामिल है.
28 सितंबर को भगत सिंह की जयंती के मौके पर कांग्रेस में शामिल होंगे कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी