Afghanistan Crisis: पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच 45 मिनट तक फोन पर हुई बात, अफगानिस्तान के हालात पर हुई चर्चा
Afghanistan Crisis: पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर करीब 45 मिनट पर बात की और दोनों नेताओं के बीच अफगानिस्तान के हालात पर विस्तार से चर्चा हुई.
Afghanistan Crisis: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीब 45 मिनट तक फोन पर बात की. इस दौरान नेताओं के बीच अफगानिस्तान के मौजूदा स्थिति पर विस्तार से बात हुई. दोनों वैश्विक नेताओं के बीच ये बातचीत ऐसे समय में हुई है जब कई देश तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को वहां से सकुशल निकालने के मिशन में जुटे हुए हैं. भारत का भी मिशन जारी है. बता दें कि कल पीएम मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से बात की थी.
पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, “अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर अपने दोस्त राष्ट्रपति पुतिन के साथ विस्तृत और उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया. हमने द्विपक्षीय एजेंडे के मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें COVID-19 के खिलाफ भारत-रूस सहयोग शामिल है. हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर करीबी परामर्श जारी रखने पर सहमत हुए.”
Had a detailed and useful exchange of views with my friend President Putin on recent developments in Afghanistan. We also discussed issues on the bilateral agenda, including India-Russia cooperation against COVID-19. We agreed to continue close consultations on important issues.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 24, 2021
तालिबान और अफगानिस्तान को लेकर क्या है रूस का रुख?
कल ही यानी सोमवार को रूस ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान और उसके विरोधियों के बीच के टकराव में दखल नहीं देगा. क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि कलेक्टिव सेक्युरिटी ट्रीटी ओरगेनाइजेशन (चुनिंदा सोवियत पूर्व देशों का अंतर सरकारी सैन्य गठबंधन) के सदस्य देशों ने गतिरोध और ‘‘अफगानिस्तान में दूसरे गृहयुद्ध’’ के प्रभावों पर चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘ वाकई कोई भी इस घटनाक्रम में दखल देने नहीं जा रहा.’’ उससे पहले तालिबान प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि इस गठबंधन के सैन्यबलों ने पंजशीर को घेर लिया.
दरअसल पंजशीर अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में एकमात्र ऐसा प्रांत है जिसने तालिबान के सामने हथियार नहीं डाले हैं. कई तालिबान विरोधी पंजशीर में एकत्र हो गये हैं. पंजशीर में जो इकट्ठा हुए हैं, उनमें अपदस्थ सरकार के उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह, जो कार्यवाहक राष्ट्रपति होने का दावा करते हैं, और नार्दन एलायंस मिलिशया के दिवंगत कमांडर के बेटे अहमद मसूद हैं. नार्दन एलायंस ने ही अमेरिका के साथ मिलकर 2001 तालिबान को सत्ता से हटाया था. कलेक्टिव सेक्युरिटी ट्रीटी ऑरगेनाइजेशन में रूस, बेलारूस, कजाखस्तान, आर्मेनिया, किर्गिजस्तान और तजिकिस्तान हैं.
रूस ने अफगानिस्तान में दस साल तक लड़ाइयां लड़ी थी और 1989 में सोवियत सैनिकों की वापसी के साथ यह खत्म हुई थी और मध्यस्थ के रूप में राजनयिक वापसी की थी . अफगानिस्तान में प्रभाव को लेकर रूस की अमेरिका से प्रतिस्पर्धा रही. उसने अफगानिस्तान पर कई दौर की वार्ता की मेजबानी की और हालिया ऐसी घटना मार्च की है जिसमें तालिबान शामिल था. वैसे रूस उसे एक आतंकवादी संगठन कहता है.
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