Afghanistan News: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख के काबुल दौरे से अब साफ हो गया कि पाकिस्तान किस कदर अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार में अपनी पैठ बढ़ाने की भरसक कोशिशें कर रहा है. यहां तक कि खबरों के मुताबिक़ पाकिस्तानी सेना पंजशीर पर कब्ज़ा जमाने में भी तालिबान के साथ मिलकर लड़ रही है.
आईएसआई प्रमुख फैज़ हमीद तालिबान के कब्ज़े के बाद काबुल पहुंच कर तालिबानी नेतृत्व से मिलने वाले विश्व के पहले इस दर्जे के प्रतिनिधि हैं. इससे दो बातें बिल्कुल साफ हो जातीं हैं. एक पाकिस्तान की तालिबान सरकार में अपने हस्तक्षेप की हड़बड़ाहट और दूसरा हक्कानियों को खुला समर्थन. हालांकि पाकिस्तान की तरफ से दावा किया गया है कि फैज़ हमीद तालिबान के न्यौते पर काबुल पहुंचे हैं पर सच्चाई किसी से छिपी नहीं है.
आईएसआई प्रमुख के काबुल दौरे पर भारत सरकार के सूत्रों ने ABP News से कहा कि उनका दौरा मुख्यतः दिखाता है कि पाकिस्तान किस तरह तालिबान की सरकार में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और किस स्तर पर इन चीजों को मैनेज कर रहा है. भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि आईएसआई प्रमुख काबुल खासकर हक्कानियो के समर्थन और उन्हें तालिबान की सरकर में ज़्यादा से ज़्यादा जगह दिलाने की कोशिश करने के लिए गए हैं. भारत का मानना है कि तालिबान अब एक राजनीतिक गुट है लिहाज़ा वो हक्कानियों के इतिहास को देखते हुए पाकिस्तान के ज़्यादा दबाव में नहीं आना चाहेगा मगर पाकिस्तान अपना भरसक प्रयास ज़रूर करेगा.
आपको बता दें कि सूत्रों के मुताबिक़ अफगानिस्तान में नई तालिबानी हुकूमत की पूरी रूपरेखा तय हो जाने के बावजूद अब सरकार का एलान तालिबान और हक्कानियों के बीच सरकार में हिस्सेदारी पर विवाद के चलते नहीं हो पा रहा है. साफ है इसीलिए आईएसआई प्रमुख भागे भागे काबुल पहुंचे हैं.
हालांकि पाकिस्तान सरकार कि तरफ से कहा गया है कि आईएसआई प्रमुख का काबुल दौरा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर चर्चा के लिए हुआ है. असल में ये भी एक सच्चाई है कि पाकिस्तान में तेहरीक ए तालिबान से पाकिस्तानी फौजों को लड़ना होता है और उसने पहले ही अफ़्गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत का समर्थन कर दिया है. ऐसे में पाकिस्तान का सिरदर्द ये भी है कि तेहरीक ए तालिबान को अफगान तालिबान का समर्थन ना मिले. यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार के सूत्रों के मुताबिक हाल हीं में पाकिस्तान ने तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्लाह हैबत्तुल्लाह अखुन्दज़ादा को उन तहरीक ए तालिबान के आतंकियों की सूची भी सौंपी है जो अफगानिस्तान में पनाह लिए बैठे हैं.
दूसरी गौर करने वाली बात ये कि तालिबान सरकार के मुखिया बनने जा रहे मुल्लाह बरादर खुद सालों पाकिस्तान की जेलों में बंद रहे. कई और तालिबानी भी पाकिस्तान में सालों कैद रहे और पाकिस्तान की हुकूमत अच्छी तरह जानती है कि पश्तून यानी पठान बिरादरी अपने ऊपर किए गए ज़ुल्म या प्रहार को कभी भूलती नहीं है. ऐसे में ये भी एक वजह है कि पाकिस्तान हक्कानियों को सरकार में मज़बूत जगह दिलाने के साथ साथ तालिबान को भी पूरी तरह से भरोसे में लेना चाहता है.
इस बीच पंजशीर में तालिबान को टक्कर दे रहे रेज़िसटेन्स फ्रंट के नेता अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान पर पंजशीर के खिलाफ तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाया. यही नहीं अफगानिस्तान की पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल के प्रवक्ता रहे रहमतुल्लाह अंदार ने ट्वीट कर तालिबान को चेताया कि विदेशी मुल्कों से रिश्ते ज़रूर रखना चाहिए मगर पाकिस्तान और ईरान से संबंध खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान ने कभी भी अफगानिस्तान के नागरिकों के हित में कुछ नहीं किया.
इस बीच तालिबान ने अमेरिका के उस बयान पर भी जवाब दिया है जिसमें कहा गया था कि अमेरिका आईएसआईएस से लड़ाई में तालिबान का समर्थन लेना चाहेगा. तालिबान ने इस पर कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान की सुरक्षा खुद कर सकता है और उसे किसी का साथ नहीं चाहिए. उधर खबरें ये भी आ रहीं हैं कि अमेरिका आईएसआईएस खुरासान के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है.
SC कॉलेजियम ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 68 नामों की सिफारिश की, 10 महिला भी शामिल