Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलते ही तालिबान ने तेज़ी के साथ अफगानिस्तान पर कब्ज़ा जमा लिया है. लेकिन इससे सिर्फ अफगानिस्तान में रहने वाले अफगानी ही परेशान नहीं हैं, बल्कि भारत में रह कर पढ़ाई करने वाले अफगान छात्र भी अपने परिवार की चिंता में हैं. अब्दुल शबूर काबुल अफगानिस्तान के रहने वाले हैं. भारत में पिछले 4 साल से रह रहे हैं और शारदा यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे हैं. अब्दुल एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए अपने देश के हालात और परिवार की परेशानियां बताते हैं. वो भारत में सुरक्षित हैं पर परिवार अभी भी अफगानिस्तान में फंसा हुआ है. अब्दुल कोशिशों में लगे हैं कि किसी तरह परिवार को कुछ दिनों के लिए अपने पास भारत लेकर आ सकें.
अब्दुल ने कहा, "मैं शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता हूं और लैब टेक्नीशियन का भी काम करता हूं. जब से अफगानिस्तान की खबरें सुन रहा हूं, बहुत डिप्रेशन में हूं. जल्द से जल्द यह प्रॉब्लम सॉल्व हो जाए. मैं अपने परिवार को भारत लाना चाहता हूं. क्योंकि वहां मेरे परिवार का फ्यूचर मुझे दिखाई नहीं दे रहा है. मेरा भाई वहीं पर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता है और बहन भी स्कूल में पढ़ाई करती है. अफगानिस्तान में पता नहीं कब तक हालात खराब रहने वाले हैं. इसलिए इस वक्त बहुत जरूरी है कि हम अपने परिवार को भारत लेकर आ जाएं. अभी अगर यह पढ़ाई नहीं करते तो भविष्य में पता नहीं क्या बन जाएंगे."
तालिबानी उन लोगों को पहले निशाना बना रहा है जो सरकार या यूनाइटेड नेशंस के साथ काम कर रहे हैं या कर चुके हैं. अब्दुल के पिता उन्हीं लोगों में से एक हैं. अब्दुल ने बताया," मैं काबुल में रहता हूं, कल से ही काबुल कैप्चर हो गया है. मेरा परिवार बहुत ज्यादा टेंशन में है. यह लोग उन लोगों को खासतौर से टारगेट कर रहे हैं जो कि सरकार या फिर यूनाइटेड नेशन के साथ काम कर चुके हैं. मेरे पापा यूनाइटेड नेशन के साथ काम करते हैं. इसीलिए परिवार बहुत ज्यादा डरा हुआ है. हर चीज एक ही दिन में हद से ज्यादा महंगी हो गई है. बिना वीजा पासपोर्ट के ही लोग भागना चाहते हैं. हम भारत सरकार से यही चाहते हैं कि वह अफगानिस्तान के लोगों की मदद करें."
भारत में पढ़ाई कर रहे ज्यादातर छात्रों की तरह अब्दुल भी अपने देश वापस लौटने से डर रहे हैं. पढ़ाई के बाद यही नौकरी करने की भी सोच रहे हैं. अब्दुल ने कहा, "अफगानिस्तान लौटने की कभी नहीं सोचता हूं. नौकरी अगर भारत में ही मिल जाती है तो ज्यादा ही बेहतर होगा. भारत में मुझे बहुत अच्छा लगता है. अफगानिस्तान तो मैं नहीं जाऊंगा. मैं तो परिवार को भी यहीं लाना चाहता हूं. अभी तक घर वालों को यहां लाने के लिए कोई मदद नहीं मिली है. हम कोशिश कर रहे हैं कि शारदा यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल डिवीजन से बात करें और हमारा परिवार कुछ दिनों के लिए यहां पर आ सके. हम हमेशा के लिए नहीं आना चाहते हैं, पर परिवार की सुरक्षा के लिए कुछ दिन के लिए हम यहीं पर परिवार लाना चाहते हैं."
उन्होंने कहा कि मेरे कुछ ऐसे दोस्त हैं जो अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हैं. वह बहुत ज्यादा परेशान हैं. उनको फ्यूचर नहीं दिखाई दे रहा. यहां पर जो दोस्त हैं वह डिप्रेशन में है कि परिवार का क्या होगा. हमारा खर्च परिवार ही उठा रहा था पर अब तो परिवार भी दिक्कत में है. तालिबान पूरा अफ़गानिस्तान ही बदलना चाहता है.
एक अफगानी नागरिक के तौर पर अब्दुल की नाराजगी सबसे ज्यादा अपने राष्ट्रपति अशरफ गनी से है. वो कहते हैं, "हमारी स्थिति के लिए जिम्मेदार प्रेसिडेंट हैं. ऐसे मुश्किल के समय में प्रेसिडेंट हमें छोड़कर भाग गए. किसी को पता भी नहीं था और अचानक से खबर आती है कि प्रेसिडेंट भाग गया. उन्होंने कहा था कि हम टेंपरेरी सरकार बनाएंगे, शांति लाएंगे पर अचानक से वह आदमी 35 मिलियन लोगों को किस्मत के भरोसे छोड़ कर भाग गए."