काबुल: अफगानिस्तान में जो हुआ दुनिया में किसी ने उसकी कल्पना नही की थी, दो साल तक जहां दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति की सेनाएं रही हों उस किले को तालिबान ने चुटकियों में मसल दिया. अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है, काबुल में अफरा तफरी की तस्वीरें दुनिया के सामने हैं. लेकिन काबुल को लेकर एक मंथन कतर के दोहा में भी चल रहा है. तालिबान के बड़े नेता अफगानिस्तान में सरकार बनाने को लेकर आज कोई एलान कर सकते हैं.
अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति पद के लिए तालिबान जिस मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का नाम आगे किया है वो भी दोहा में ही मौजूद है. ऐसी खबरें है कि आज तालिबान के बड़े नेता दोहा से काबुल आकर नई सरकार को लेकर कोई एलान कर सकते हैं. अफगानिस्तान में बदलती सत्ता ने दुनिया के समीकरण को भी हद तक बदलकर रख दिया है.
चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान नई तालिबान सरकार को मान्यता देने की बात कह चुके हैं. साथ ही मौजूदा हालात के लिए सब अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. चीन, रूस और पाकिस्तान ने तो काबुल में अपनी एंबेसी भी खाली नहीं करने का एलान कर दिया है.
अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर चीन ने तालिबान के शासन के स्थायी रहने की उम्मीद जताई है तो वहीं अमेरिका के विरोधी ईरान ने भी कहा है कि अमेरिका की हार से शांति की उम्मीद जगी है. पाकिस्तान ने कहा है कि अफगानिस्तान ने गुलामी की जंजीरें तोड़ दी हैं.
तालिबान सरकार को लेकर दुनिया के देश अपनी राजनीति के हिसाब से दो खेमे में नजर आ रहे हैं. अफगानिस्तान की बदलती सूरत में दोहा की भूमिका काफी अहम रही है. अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में 2018 से ही शांति वार्ता चल रही है. इस दौरान अमेरिका ने तालिबान के सामने कई शर्तें रखीं.
तालिबान और अमेरिका को लेकर बातचीत दोहा में ही होती रही है. अब नई सरकार को शक्ल देने का काम भी दोहा में चल रहा है. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी तालिबान की नई सरकार को लेकर दुनिया को भरोसा जीतने की कोशिश में है.
अगर दोहा में सरकार की संरचना, चेहरे और नाम को लेकर कोई बात तय हो जाती है तो आज ही बरादर समेत तालिबान के बड़े नेता काबुल जाकर इसका एलान कर सकते हैं. तालिबान का दावा है कि नई सरकार को लेकर संगठन के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय नेताओं से भी बातचीत जारी है.
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