पूर्वोत्तर राज्यों के लिये मोदी सरकार का बड़ा फैसला, असम, नागालैंड और मणिपुर के 36 जिलों में घटाया AFSPA का दायरा
नागालैंड के 7 जिलों के 15 पुलिस थानों से इसे हटाया गया है. गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पूर्वोत्तर के राज्यों से भी इस विशेष अधिनियम को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है.
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केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के साथ ही पूर्वोत्तर के 3 राज्यों नागालैंड, असम और मणिपुर के अनेक जिलों से आर्म्ड फोर्सज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) को आज से हटा दिया गया है. इसके पहले यह विशेष आदेश पूरे राज्य पर लागू था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी के मुताबिक इस बाबत इन तीनों राज्यों की सुरक्षा समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है.
मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक विशेषकर पिछले 3 वर्षों में जब से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंत्रालय की कमान संभाली तब से उन्होंने लगातार पूर्वोत्तर में संवाद बढ़ाया और उग्रवाद समाप्त करने के लिए अनेक समझौते किए जाने पर विशेष जोर दिया.
इसी प्रयासों के चलते इन राज्यों में आर्म्ड फोर्सज स्पेशल पावर्स एक्ट की भी समीक्षा की गई और इस समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि इस विशेष पावर को अनेक इलाकों से हटाया जा सकता है .लिहाजा 1 अप्रैल 2022 से इसका दायरा कम करने का निर्णय लिया गया.
असम के 23 जिलों से आंशिक रूप से हटाया जा रहा अफस्पा
नए आदेश के मुताबिक 1 अप्रैल से असम के 23 जिलों से इसे पूरी तरह से और 1 जिले से इसे आंशिक रूप से हटाया जा रहा है. इसके साथ ही मणिपुर के 6 जिलों के 15 पुलिस थानों से इस कानून को हटाया गया है. नागालैंड के 7 जिलों के 15 पुलिस थानों से इसे हटाया गया है. गृह मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से भी इस विशेष अधिनियम को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है. मसलन अरुणाचल प्रदेश में इसे धीरे-धीरे कम किया गया है. मौजूदा समय में वहां सिर्फ तीन जिलों और एक अन्य जिले के दो पुलिस थाना क्षेत्रों में यह विशेष अधिनियम लागू है.
जनवरी में हुआ था बोडो समझौता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बाबत कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अटूट प्रतिबद्धता के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र जो दशकों से उपेक्षित था अब शांति समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है.यह भी ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों में लगभग 7000 से ज्यादा हथियार धारकों ने पूर्वोत्तर में आत्मसमर्पण किया है. जनवरी 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बोडो समझौता कराया था. इसके बाद करबी आंगलांग समझौता किया गया.
2019 में हुआ था एनएलएफटी समझौता
त्रिपुरा में उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए 2019 में एनएलएफटी समझौता हुआ और उसके बाद इसी सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम मेघालय सीमा विवाद को निपटाने की दिशा में समझौता किया गया. इसके तहत 12 विवादित बिंदुओं में से 6 बिंदुओं पर दोनों राज्य सहमत हो गए हैं और बाकी के 6 विवादित बिंदुओं पर बातचीत लगातार जारी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक जल्द ही इन बिंदुओं को भी सुलझा लिया जाएगा.
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