Delhi Crime News: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के महरौली थाना इलाके की पुलिस ने करीब करीब 6 महीने पहले हुई एक हत्या के मामले को समझाते हुए एक शख्स को गिरफ्तार किया है जिसका नाम आफताब बताया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, आफताब और श्रद्धा नाम की युवती की दोस्ती मुंबई में एक को सेंटर में काम करते के दौरान हुई थी. दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में तब्दील हो गई, जिसके बाद परिवार का विरोध करने पर दोनों भागकर दिल्ली आ गए. 


श्रद्धा शुरू में अपने पिता के साथ संस्कृति अपार्टमेंट में रहती थी. वसई के दिवान होम में रहनेव वाले लड़के आफताब के साथ पिता को छोड़कर लिव-इन-रिलेशन में रहने लगीं. उसके बाद दोनो नायगांव में रहने लगे वही से दिल्ली चली गयी. इस बात की जानकारी उसके दोस्त क्लासमेट लक्ष्मण नाडर (20)  को थी. नाडर उसका क्लासमेट भी था फिर कुछ समय से नाडर के टच में भी नहीं थीं. 


परिवार को सोशल मीडिया से मिलती थी जानकारी


श्रद्धा के परिवार वाले सोशल मीडिया के जरिए उसकी जानकारी लेते रहते थे, लेकिन जब सोशल मीडिया पर अपडेट आना बंद हो गया तब लड़की के पिता दिल्ली में पहुँचे और बेटी के नहीं मिलने पर दिल्ली पुलिस को शिकायत दी. श्रद्धा के पिता ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी मुंबई के कॉल सेंटर में काम करती थी, जहां उसकी मुलाकात आफताब नाम के एक शख्स से हुई. इसके बाद दोनों की दोस्ती काफी नजदीकी में तब्दील हो गई और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे, लेकिन परिवार वाले इस बात से खुश नहीं थे. इसके चलते उन्होंने इसका विरोध किया. इसी विरोध के चलते उनकी बेटी और आफताब मुंबई छोड़कर दिल्ली आ गए और यहां पर छतरपुर इलाके में रहने लगे. 


श्रद्धा के 35 टुकड़े कर जंगल में फेंका


टेक्निकल सर्विलांस की मदद से दिल्ली पुलिस (Delhi Police) आफताब की तलाश में जुट गई जिसके बाद एक गुप्त सूचना के आधार पर आफताब को धर दबोचा. पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि श्रद्धा उसपर लगातार शादी का दबाव बना रही थी, जिसको लेकर उनके बीच में अक्सर झगड़ा होना शुरू हो गया था. इसके बाद उसने मई के महीने में बेरहमी से उसकी हत्या कर डाली और शव के टुकड़े कर अलग-अलग जगह पर जंगल में फेंक दिए. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी आफताब ने श्रद्धा के करीब 35 टुकड़े किये थे, जिसे फ्रीज़ खरदकर लाया और उसमें रख दिया. करीब 18 दिन तक इन लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाया और महरौली के जंगलों में फैंकता रहा. इस काम के लिए वो देर रात को ही निकलता था. 


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