भारतीय पायलटों के संघ The Federation of Indian Pilots ने मांग की है कि उनके सदस्यों को सरकार कोविड से लड़ने वाले फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दे. इसके तहत फ्रंटलाइन वर्कर को जो भी सुविधा दी जा रही है, दुर्घटना की स्थिति में वे सभी सुविधाएं भारतीय पायलटों को भी मिलें. इसमें प्राथमिकता के आधार पर पायलटों का वैक्सीनेशन, बीमा कवरेज और मुआवजे की मांग रखी गई है. फेडरेशन ने यह फैसला तब लिया है जब पिछले एक साल के दौरान 17 पायलटों की मौत कोरोना के कारण हुई है. इनमें से 13 की मौत इस साल फरवरी के बाद हुई है.
10 करोड़ मुआवजे की मांग
पायलटों के संगठन The Federation of Indian Pilots ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की है कि उसके लिए फ्रंटलाइन वर्कर के तहत अलग से एक "Air Transportation Workers", श्रेणी बनाई जाए. फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट द्वारा सात जून को दाखिल याचिका में कहा गया है कि महामारी के दौरान पायलटों ने जरूरी सेवाएं मुहैया कराई हैं. याचिका में कोविड-19 से जान गंवाने वाले पायलटों के परिवारों को 10 करोड़ रुपये मुआवजा देने का केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.
13 पायलटों की मौत फरवरी से जून के बीच
जनहित याचिका के मुताबिक बीते साल से अब तक कोरोना महामारी की वजह से 17 पायलटों की जान गई है, जिनमें से 13 की मौत इस साल फरवरी से जून के बीच में हुई है. याचिका के मुताबिक मार्च 2020 से विभिन्न विमान कंपनियों और पायलटों ने 'वंदे भारत मिशन में भूमिका निभाई और दूसरे देशों में फंसे हुए नागरिकों को वतन लाने का काम किया. महामारी की दूसरी लहर के दौरान चिकित्सकीय सामानों की आपूर्ति में भी पायलटों ने सेवा दी.
कुछ ब्लैक फंगस से भी प्रभावित
याचिका में कहा गया,‘महामारी के समय कई पायलट कोरोना वायरस से प्रभावित हुए और कई की जान चली गई. कोविड-19 के बाद म्यूकरमाइकोसिस जैसी अन्य बीमारियों के कारण भी कई पायलट स्थायी तौर पर या अस्थायी तौर पर शारीरिक रूप से प्रभावित हुए. याचिका में दावा किया गया कि कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले पायलटों को समुचित मुआवजे के लिए आज तक कोई योजना पेश नहीं की गई है.’ याचिका पर निर्धारित प्रकिया के तहत कुछ दिन में सुनवाई की जाएगी.
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