‘भगवान’ की गवाही पर 28 साल पुराने मर्डर केस में सिस्टर अभाया को मिला इंसाफ
यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस के एक कुएं से मिला था.
केरल के सिस्टर अभया मर्डर केस में आखिकर 28 साल बाद दोनों आरोपियों को दोषी पाया गया. इस केस में पादरी थॉमस कोट्टूर और नन सेफी को दोषी पाया गया, जिसके ऊपर फैसला बुधवार को सुनाया जाएगा. यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस के एक कुएं से मिला था.
सिस्टर अभया केस में 28 साल बाद आरोपी दोषी
सीबीआई अदालत ने मंगलवार को एक पादरी एवं नन को उनकी हत्या का दोषी पाया. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पादरी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं. अदालत ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) एवं 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया.
अभया ने पादरी और नन को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था
सीबीआई के आरोप पत्र के मुताबिक, 27 मार्च 1992 की रात को अभया ने कोट्टूर और सेफी को कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया जिसके बाद आरोपियों ने अभया पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसे कुएं में फेंक दिया. अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए.
इस मामले में अन्य आरोपी फादर जोस पुथ्रीक्कयील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने की थी और दोनों ने ही कहा था कि अभया ने खुदकुशी की है.
सीबीआई ने दायर की थी क्लोजर रिपोर्ट
सीबीआई ने मामले की जांच 29 मार्च 1993 को अपने हाथ में ली और तीन क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. इसके साथ ही, सीबीआई ने कहा था कि यह हत्या का मामला है लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका है.
बहरहाल, चार सितंबर 2008 को केरल हाईकोर्ट ने मामले को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और कहा था कि एजेंसी "अभी भी राजनीतिक और नौकरशाही की शक्ति रखने वालों की कैदी है" तथा सीबीआई की दिल्ली इकाई को निर्देश दिया था कि वह जांच को कोच्चि इकाई को सौंप दे.
इसके बाद सीबीआई ने फादर कोट्टूर, फादर पूथ्रीक्कयील और नन सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. अभियोजन के मुताबिक, कोट्टूर और पूथ्रीक्कयील का कथित रूप से सेफी से अवैध संबंध था.
‘चोर’ बनकर आया भगवान
इस केस का मुख्य आधार एक चश्मदीद की गवाही बनी. इस शख्स का नाम राजू है. बताया गया कि कथित चोर राजू उस वक्त कॉन्वेंट में मौजूद था जिस वक्त यह अपराध किया गया था. उनके भाई अदालत के फैसले से खुश हैं. इस मामले में सुनवाई पिछले साल 26 अगस्त को शुरू हुई और कई गवाह मुकर गए.