AIMIM, शिवसेना के बाद अब JMM ने दी बंगाल विधानसभा चुनाव में दस्तक, ऐसे समझिए दिलचस्प समीकरण
पड़ोसी प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी पश्चिम बंगाल के चुनावी समर में कूदने का एलान किया है. माना जा रहा है कि ओवैसी की काट के तौर पर टीएमसी ने तुरूप का पत्ता फेंका है. उसके पीछे अहम रणनीति बीजेपी के चुनावी गणित को बिगाड़ने का है.
![AIMIM, शिवसेना के बाद अब JMM ने दी बंगाल विधानसभा चुनाव में दस्तक, ऐसे समझिए दिलचस्प समीकरण After AIMIM, Shiv Sena now JMM jumps in Bengal assembly elections, what will be equation? AMM AIMIM, शिवसेना के बाद अब JMM ने दी बंगाल विधानसभा चुनाव में दस्तक, ऐसे समझिए दिलचस्प समीकरण](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/19193318/pjimage-2021-01-19T140249.087.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कोलकाता: पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव करीब आते-आते काफी दिलचस्प होता जा रहा है. ओवैसी की पार्टी के बाद शिवसेना और अब एक अन्य क्षेत्रीय पार्टी ने दस्तक दे दी है. पड़ोसी प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी चुनावी समर में कूदने का एलान किया है. माना जा रहा है कि ओवैसी की काट के तौर पर टीएमसी ने तुरूप का पत्ता फेंका है. उसके पीछे अहम रणनीति बीजेपी के चुनावी गणित को बिगाड़ने का है.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुआ काफी दिलचस्प
जेएमएम ने पुरुलिया, बांकुरा, झारग्राम जिला समेत जंगलमहल की सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है. हालांकि, झारखंड की पार्टी के प्रत्याशी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और उसका चुनावी क्षेत्र क्या होगा, अभी तस्वीर साफ नहीं हुई है. माना जा रहा है कि कम से कम 35-40 सीटों पर जेएमएम चुनाव लड़ सकती है.
दरअसल, चुनावी रणनीतिकारों ने पिछले चुनावों के नफा-नुकसान का गहराई से मूल्यांकन किया है. पुरुलिया और बांकुरा जिला जंगलमहल का इलाका कहलाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जंगलमहल इलाकों में बीजेपी ने टीएमसी पर बड़ी बढ़त बनाई थी. बांकुरा में विधानसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी 12 में से 12 सीटों पर आगे थी.
झारखंड की पार्टी ने चुनावी समर में कूदने का किया एलान
पुरुलिया में 9 में से 8 सीटों पर और झारग्राम में 4 में से 3 सीटों पर भी उसने बढ़त बना ली थी. जंगलमहल इलाकों में आदिवासी मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. माना जाता है कि आदिवासियों को बीजेपी अपने पाले में लामबंद करने में सफल रही. ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव का ट्रेंड विधानसभा में भी बरकरार रहता है, तो तृणमूल के लिए मुश्किल हो सकता है.
इसलिए विधानसभा चुनाव से पहले जंगलमहल की राजनीति में जेएमएम की एंट्री हुई है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि झारखंड की पार्टी के आने से आदिवासी मतदाताओं पर असर पड़ेगा. अगर जेएमएम सेंध लगाने में सफल रहती है, तो इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होगा. बीजेपी को नुकसान होने का मतलब टीएमसी को फायदा.
बीजेपी की काट के लिए क्या फेंका गया है तुरूप का पत्ता?
जानकारों का तो यहां तक मानना है कि ये ठीक वैसे ही है जैसे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने से टीएमसी को नुकसान और बीजेपी को फायदा. हालांकि, टीएमसी नेता और मंत्री सुजीत बोस ने विधानसभा चुनाव को लोकसभा से अलग बताया है. उनका कहना है कि तृणमूल कांग्रेस को पुरुलिया और बांकुरा में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
लेकिन, बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की एंट्री से बेपरवाह होने का दावा किया है. प्रदेश उपाध्यक्ष रितेश तिवारी के मुताबिक, आदिवासी समुदाय के लोगों को पता है कि बीजेपी ने उनके लिए क्या किया है और आगे क्या कर सकती है. फिलहाल, इस महीने के अंत तक प्रचार शुरू करनेवाली जेएमएम बंगाल की राजनीति में क्या समीकरण बनाएगी, इसका फैसला चुनावी नतीजों से जाहिर हो जाएगा.
मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ा रूस में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह, छह गिरफ्तार
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शंभू भद्र](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/fdff660856ace7ff9607d036f59e82bb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)