नई दिल्ली: देश के सर्वाधिक चर्चित और विवादित अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में एब फैसले की घड़ी आ गई है. आज सुबह साढ़े दस बजे सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यों वाली बेंच अपना फैसला सुनाने सुनाएगी. फैसले के चलते देशभर में अलर्ट है. इतने बड़े मामले का फैसला आखिर शनिनार को आने के पीछे क्या तर्क है इस पर भी बातें हो रही है.


चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. वैसे तो अदालत किसी भी दिन बैठ सकती है, मामले को सुन सकती है और फैसला दे सकती है लेकिन फिर भी 17 नवंबर को रविवार है और सामान्यत: इतने बड़े मामलों में फैसला अवकाश के दिन नहीं आया करता. साथ ही जिस दिन चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे हों, उस दिन भी बड़े मामलों में फैसले आमतौर से नहीं सुनाए जाते. इससे पहले 16 नवंबर को शनिवार की भी छुट्टी है.


ऐसे में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई का अंतिम कार्यदिवस 15 नवंबर को पड़ रहा है. इससे यह अनुमान लगाया गया कि अयोध्या मामले का फैसला न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ 14 या 15 नवंबर को सुना सकती है.


लेकिन, इसमें भी एक पेंच सामने आया. आम तौर से अदालत किसी फैसले को सुनाती है तो उससे संबंधित कोई तकनीकी गड़बड़ी पर अगले दिन वादी या प्रतिवादी में से कोई भी एक बार फिर से अदालत की शरण लेकर इस गड़बड़ी को दूर करने की गुहार लगाता है. इसमें भी एक या दो दिन लग जाते हैं. इस मामले में 14-15 नवंबर को फैसले की स्थिति में यह एक-दो दिन फिर खिसक कर 16-17 नवंबर हो जाते.


इसके बावजूद, न ही अदालत और न ही सरकार से, किसी भी तरफ से यह संकेत नहीं मिला कि अयोध्या मामले में फैसला 14-15 नवंबर से पहले भी आ सकता है.


फिर अचानक, शुक्रवार रात यह सूचना आती है कि अयोध्या मामले पर फैसला शनिवार सुबह साढ़े दस बजे सुनाया जाएगा. माना जा रहा है कि यह अचानक ऐलान इस सुविचारित रणनीति का हिस्सा है कि इस बेहद संवेदनशील, भावनाओं और आस्थाओं से जुड़े मामले में असामाजिक तत्वों को किसी तरह की खुराफात के लिए तैयारी का मौका नहीं मिल सके. और, इसीलिए शुक्रवार की रात ऐलान किया गया कि शनिवार की सुबह होने के साथ ही मामले में फैसला सुना दिया जाएगा.


 शांति बनाए रखने के लिए पूरी तैयारी


देश और अयोध्या के प्रदेश उत्तर प्रदेश में शांति के लिए इससे पहले इसी रणनीति के तहत पूरी तैयारी कर ली गई. प्रदेश और केंद्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था मुकम्मल कर ली. अयोध्या फैसले के आने के समय के फैसले के ऐलान से पहले प्रधान न्यायाधीश ने भी उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी और पुलिस महानिदेशक ओ.पी.सिंह से मुलाकात कर प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी हासिल की.


इस मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद देश की शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. तभी से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि चीफ जस्चिस न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले इस मामले में फैसला आ जाएगा.


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