कलाम की राह पर कोविंद, राष्ट्रपति भवन में नहीं देंगे इफ्तार पार्टी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पहले राष्ट्रपति रहते हुए एपीजे अब्दुल कलाम ने इफ्तार पार्टी नहीं दी थी. कलाम इफ्तार पार्टी में खर्च होने वाले पैसों को गरीबों और जरूरतमंदों को बांटते थे. राष्ट्रपति भवन में इफ्तार देने की परंपरा लंबे समय से रही है.
नई दिल्ली: पाक महीना रमजान के मौके पर दुनियाभर में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है. इस बीच राष्ट्रपति भवन ने बताया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इफ्तार पार्टी नहीं देंगे. कोविंद से पहले राष्ट्रपति रहते हुए एपीजे अब्दुल कलाम ने इफ्तार पार्टी नहीं दी थी. कलाम इफ्तार पार्टी में खर्च होने वाले पैसों को गरीबों और जरूरतमंदों को बांटते थे. राष्ट्रपति भवन में इफ्तार देने की परंपरा लंबे समय से रही है.
कलाम के बाद प्रतीभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रपति भवन में इफ्तार का आयोजन फिर से शुरू किया था यह सिलसिला प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल तक चलता रहा. हालांकि पिछले साल राष्ट्रपति भवन में आयोजित इफ्तार पार्टी काफी विवादों में रहा. तब प्रणब मुखर्जी की ओर से आयोजित पार्टी में प्रधानमंत्री क्या कोई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने भी इफ्तार में शिरकत नहीं की थी. राष्ट्रपति के इफ्तार में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के जाने की परंपरा रही है.
कोविंद क्यों नहीं देंगे इफ्तार? राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक बताया कि राष्ट्रपति ने पदभार ग्रहण करने के बाद निर्णय किया गया था कि राष्ट्रपति भवन जैसी सार्वजनिक इमारत में करदाताओं के खर्चे पर किसी तरह का धार्मिक समारोह या त्योहार नहीं मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने यह निर्णय देश के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को ध्यान में रखकर किया है.
After the President took office in July 2017, he directed Rashtrapati Bhavan being a public building there would be no religious observances at taxpayer expense. This is in keeping with the principles of a secular state and applies to all festivities, irrespective of religion 1/3
— Ashok Malik (@MalikAshok) June 6, 2018
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति देशवासियों को हर धर्म के त्योहारों पर शुभकामनाएं देंगे. राष्ट्रपति भवन परिसर में रहने वाले किसी भी अफसर या कर्मचारी पर कोई पाबंदी नहीं होगी. वह अपने धर्म से जुड़े त्योहारों को मनाने के लिए आजाद हैं.
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