ऑस्ट्रेलिया की सख्ती के बाद फेसबुक की अकड़ ढीली पड़ गई है. भारत में भी ये चर्चा तेज हो गई है कि फेसबुक या सोशल मीडिया की मनमानी पर लगाम लगाने वाले नियम होने चाहिए. ऑस्ट्रेलियाई सरकार और फेसबुक के बीच चल रहे विवाद का असर भारत में भी दिख सकता है. ये बहस छिड़ गई है कि भारत में भी फेसबुक को न्यूज कंटेट दिखाने के लिए पैसे देने चाहिए.


ऑस्ट्रेलिया में जब सरकार ने नियम सख्त किए तो फेसबुक ने तेवर दिखाते हुए कोरोना और मौसम विभाग के पेज समेत कई ऑस्ट्रेलियाई पेज भी बंद कर दिए. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने तुरंत भारत और कनाडा के पीएम से बात की. जिसके बाद फेसबुक ने बातचीत का फैसला लिया.


दरअसल ऑस्ट्रेलिया सरकार ने कानून बनाया है कि किसी भी वेबसाइट पर दिखाई जाने वाली उसके देश की समाचार सामग्री के लिए उस सोशल मीडिया वेबसाइट को भुगतान करना होगा. इसे लेकर सरकार और फेसबुक के बीच टकराव चला था, लेकिन फेसबुक को झुकना पड़ा.


भारत में भी फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां न्यूज वेबसाइट की खबरों को दिखाती हैं. इसके बदले ये कंपनियां खुद तो अरबों रुपए कमाती हैं, लेकिन उसे वेबसाइट के साथ शेयर नहीं करतीं. साथ ही न्यूंज कंपनियो का दावा है कि उनकी खबरों से फेसबुक जैसी कंपनियों की विश्वसनीयता बढ़ती है. अब इन कंपनियों के लिए राजस्व साझा करने वाले नियम की मांग हो रही है.


भारत से फेसबुक पर राजस्व को लेकर नकेल कसने की इसलिए भी ज्यादा उम्मीदें हैं क्योंकि इससे पहले भारत सरकार ने ट्विटर के मनमाना रवैये पर हाथ मरोड़ा था. आरोप लगा था कि सोशल मीडिया कंपनियां संपादकीय फैसलों की तरह अपना कंटेंट पेश कर रही हैं. भारत सरकार ने दिल्ली हिंसा और किसान आंदोलन को लेकर ट्वीटर के कंटेंट पर सवाल उठाए थे.


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