ब्रिटेन के औषधि नियामक ने कहा है कि कोरोना वायरस रोधी एस्ट्राजेनिका टीके के व्यापक फायदे हैं, लेकिन खून में थक्के बनने के दुर्लभ मामलों के चलते 30 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरे टीके की पेशकश की जाएगी. देश की ‘मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी’ (एमएचआरए) ने बुधवार को कहा कि जब तक वह एस्ट्राजेनेका टीके और रक्त के दुर्लभ थक्कों के बीच संबंध का अध्ययन कर रही है, तब तक संबंधित आयु समूह के लोगों को फाइजर और मॉडर्ना कंपनी के टीके लगाए जाने चाहिए.
एमएचआरए के प्रमुख, डॉक्टर जून रैने ने कहा कि जोखिम के मुकाबले अधिकतर लोगों में एस्ट्राजेनेका टीके के लाभ अधिक हैं. यूरोपीय संघ के औषधि नियामक द्वारा यह कहे जाने के तुरंत बाद इस फैसले की घोषणा की गई कि उसने एस्ट्राजेनेका के टीके और रक्त के दुर्लभ थक्कों के बीच ‘‘संभावित संपर्क’’ का पता लगा लिया है.
ब्रिटेन में बच्चों पर चल रहा ट्रॉयल रोका गया
ब्रिटेन ने एस्ट्राजेनेका कोरोना वायरस वैक्सीन का बच्चों पर किया जाने वाला ट्रायल रोक दिया है. इस टीके को बनाने में सहयोग करने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर कहा है कि ब्रिटेन की दवा नियामक एजेंसी जब तक वैक्सीन के इस्तेमाल से ब्लड क्लॉटिंग की संभावना का आंकलन नहीं कर लेती, तब तक परीक्षण नहीं किया जाएगा. हम MHRA, (Britain's Medicines and Healthcare products Regulatory Agency) द्वारा वैक्सीन के इस्तेमाल से खून का थक्का जमने की क्षीण संभावना पर अतिरिक्त जानकारी मिलने का इंतजार करेंगे.
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के बाद ब्रिटेन में 30 लोगों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या पाई गई थी. इसके चलते 7 लोगों की मौत भी हो गई थी. हालांकि ब्रिटेन की दवा नियामक एजेंसी MHRA ने कहा है कि इस वैक्सीन के खतरे की तुलना में इसके फायदे अधिक हैं. पूरे विश्व में कई स्वास्थ्य एजेंसियों की नज़र इस बात पर है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग की संभावना किस हद तक है. यूरोप और नॉर्वे में वैक्सीनेशन के बाद रक्त में खून के थक्के जमने के कई मामले प्रकाश में आए थे.
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