महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ आरंभिक जांच की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सीबीआई की एक टीम मंगलवार को मुंबई पहुंचेगी. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बंबई उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई को जांच का निर्देश दिए जाने के बाद देशमुख ने गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
अधिकारियों ने बताया कि ऐसे मामलों में कार्रवाई आरंभ करने के पहले आम तौर पर एजेंसी औपचारिक आदेश मिलने का इंतजार करती है और कानूनी राय लेती है लेकिन उच्च न्यायालय ने आरंभिक जांच के लिए 15 दिनों का ही समय दिया है इसलिए सीबीआई ने तेजी से कदम उठाया है.
सीबीआई की टीम जांच शुरू करने के लिए वकीलों से मिलकर आदेश, संलग्न शिकायत और अन्य जरूरी दस्तावेज जुटाएगी. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि यह ‘‘असाधारण’’ और ‘‘अभूतपूर्व’’ मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.
पीठ ने 52 पन्ने के अपने फैसले में कहा कि देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों ने राज्य पुलिस में नागरिकों के भरोसे को दांव पर लगा दिया है. अदालत ने कहा कि एक सेवारत पुलिस अधिकारी द्वारा राज्य के गृह मंत्री के खिलाफ लगाए गए ऐसे आरोपों को बिना जांच के नहीं रहने दे सकते और जहां इसमें जांच की जरूरत होगी,... यदि प्रथम दृष्टया,.... तो वे संज्ञेय अपराध का मामला बना सकते हैं.
पीठ ने अपना फैसला पिछले महीने दाखिल तीन जनहित याचिकाओं और एक आपराधिक रिट याचिका पर दिया जिनमें मामले की सीबीआई जांच और कई अन्य राहतों का अनुरोध किया गया था. इनमें से एक याचिका खुद सिंह ने दायर की है जबकि दो अन्य याचिकाएं वकील घनश्याम उपाध्याय और स्थानीय शिक्षक मोहन भिडे ने दायर की थी.
आपराधिक रिट याचिका एक वकील जयश्री पाटिल ने दाखिल की थी. उच्च न्यायालय ने पाटिल की याचिका पर सीबीआई जांच का आदेश दिया. सिंह ने 25 मार्च को देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत अन्य पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा. देशमुख ने इन आरोपों से इनकार किया है.
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