नई दिल्ली: नेपाल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिये पर होने वाली दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में वो सार्क की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आग्रह करेगा. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि किन्हीं दो देशों के आपसी मतभेदों के कारण दक्षिण एशिया के मुद्दों पर संवाद की प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए. हाल ही में भारत ने सीमा पर हिंसा और पाकिस्तान की ओर से आतंकियों के महिमामंडन करने वाले डाक टिकट जारी करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में होने वाली विदेश मंत्रियों की वार्ता रद्द कर दी गई थी.


संयुक्त राष्ट्र महासभा में शरीक होने पहुंचे नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा कि सार्क को मौजूदा प्रधान होने के नाते नेपाल इस बात का पक्षधर है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की शिखर बैठक होनी चाहिए. ज्ञवली ने कहा कि विदेशमंत्रियों की मुलाकात के दौरान नेपाल इस बात का आग्रह भी करेगा.


नेपाल ने भारत और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि किन्हीं भी दो देशों के मतभेदों के कारण क्षेत्रीय संवाद नहीं रुकना चाहिए. समस्याओं के समाधान के लिए ज़रूरी है कि हम बात करते रहें. महत्वपूर्ण है कि 2016 में आतंकी हुए कई हमलों को लेकर भारत ही नहीं बांग्लादेश और अफगानिस्तान के विरोध के बाद पाकिस्तान सार्क शिखर बैठक की मेजबानी नहीं कर पाया था.


एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ज्ञवली का कहना था कि आतंकवाद एक साझा समस्या है. कोई भी देश ऐसा नहीं है जो आतंकवाद के प्रति रियायत बरतता हो या उसका समर्थन करे. लिहाजा इस साझा समस्या के समाधान के लिए भी जरूरी है कि बातचीत की जाए और सहयोग का रास्ता निकाला जाए. इस बीच ज्ञवली ने सोमवार को जहां भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से द्विपक्षीय मुलाकात की वहीं मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ले भी वो मिले.


चीन-नेपाल ट्रेड एंड ट्रांजिट समझौते से भारत को खतरा नहीं
बीते दिनों चीन के अपने चार समुद्री बंदरगाह और तीन ड्रायपोर्ट नेपाल के लिए मुकर्रर किए जाने को लेकर भारत में उठी चिंताओं को निराधार करार दिया. ज्ञवली ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध नियती से बंधे हैं.नेपाल यह स्पष्ट कर चुका है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देगा. नेपाली विदेश मंत्री के मुताबिक भारत भी यह समझेगा की नेपाल को अपने कारोबार के लिए बंदरगाहों तक पहुंचने की ज़रूरत है. चीन के साथ नेपाल ने ट्रेड एंड ट्रांज़िट एग्रीमेंट किया था. उसी के तहत प्रोटोकॉल पर दस्तखत हुए. इससे भारत और नेपाल के रिश्ते कतई खराब नहीं होते.


बिम्सटेक में नहीं बनी थी सैन्य अभ्यास पर कोई सहमति
काठमांडू में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी के बाद भारत में आयोजित बिमस्टेक संयुक्त सैन्य अभ्यास में नेपाल के शरीक न होने के फैसले को भी ज्ञवली ने जायज ठहराया. इस बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि बिम्सटेक एक आर्थिक और तकनीकी सहयोग संगठन है. उसमें सैन्य सहयोग का कोई पक्ष नहीं है.साथ ही बिम्सटेक सम्मेलन में भारत की तरफ से संयुक्त सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव ज़रूर आया था लेकिन इसके लिए कोई सहमति नहीं बनी थी. इसलिए हमने केवल ऑब्जर्वर भेजे थे..द्विपक्षीय स्तर पर भारत और नेपाल के बीच सैन्य अभ्यास की मजबूत परम्परा है.