आठ महीने बाद फिल्म 'मोदी का गांव' को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी
पिछले आठ महीने से अटकी पड़ी प्रधानमंत्री मोदी के विकास के एजेंडे पर आधारित फिल्म 'मोदी का गांव' को प्रमाणन बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है. अब यह फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज हो जाएगी
मुंबई: पिछले आठ महीने से अटकी पड़ी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के एजेंडे पर आधारित फिल्म 'मोदी का गांव' को प्रमाणन बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है. अब यह फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज हो जाएगी. यह फिल्म को पिछले आठ महीने से अटकी पड़ी थी और अब जा कर इस फिल्म को बोर्ड से मंजूरी मिली है.
दरअसल इसी साल फरवरी में केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड(सीबीएफसी) के तत्कालीन चेरयमैन पहलाज निहलाणी ने फिल्म को बोर्ड का प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने फिल्म के निर्माता सुरेश के. झा को बोर्ड का प्रमाणपत्र से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और चुनाव आयोग से प्रमाणपत्र लेने को कहा था. निहलानी ने निर्माता से इस बात का प्रमाम पत्र लाने के लिए कहा था कि पीएमओ और चुनाव आयोग को इस फिल्म से कोई आपत्ति नहीं है.
बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद झा ने कहा, "यह हमारे के लिए बड़ी जीत है. फिल्म प्रमाणन अपीलीय अधिकरण (एफसीएटी) ने सीबीएफसी की ओर से उठाए गए आपत्तिजनक बिंदुओं को दबा दिया है और हमलोग अब दिसंबर के मध्य तक पूरे भारत में फिल्म का प्रदर्शन करने पर विचार कर रह हैं."
निहलानी ने फिल्म में मोदी से मिलते-जुलते पात्र की ओर से पाकिस्तान की तरफ से उरी पर हुए हमले के संदर्भ में प्रधानमंत्री के भाषण और 'पप्पू' बिहारी नाम के चरित्र को लेकर फिल्म को मंजूरी देने से मना कर दिया था. फिल्म के निर्माता ने पीएमओ को इस संबंध में पत्र लिखा था, लेकिन उन्हे वहां से कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने एफसीएटी का दरवाजा खटखटाया और सीबीएफसी के आदेश को वहां चुनौती दी.
एफसीएटी ने 12 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि फिल्म को पीएमओ या निर्वाचन आयोग की ओर से प्रमाणपत्र लेने की कोई जरूरत नहीं है. एफएसीटी ने कहा, "दोनों संदर्भो में प्रधानमंत्री या फिल्म के चरित्र की बात का कोई कानूनी आधार नहीं है, इसलिए पीएमओ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है. "
एफसीएटी ने झा की इस दलील पर भी गौर किया कि भारत के कई हिस्सों में लोग अपने बच्चों को प्यार से 'पप्पू' नाम से पुकारते हैं. इस फिल्म से पहले बॉलीवुड फिल्म 'पप्पू कान्ट डांस साला' और एक विज्ञापन 'पप्पू पास हो गया' में 'पप्पू' शब्द का प्रयोग करने के उदारण मिलते हैं.
एफसीएटी के आदेश के बाद फिल्म 'मोदी का गांव' सीबीएफसी के पास भेजी गई, जिसे बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है. झा ने बताया कि इस फिल्म में स्वच्छ भारत अभियान, स्मार्ट इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं का जिक्र किया गया है.
फिल्म में मुंबई का एक व्यवसायी मुख्य किरदार पीएम मोदी की भूमिका में है. वहीं टेलीविजन कलाकार चंद्रमणि एम. और जेबा ए. ने इस फिल्म में भूमिका निभाई है. 135 मिनट की इस फिल्म का निर्देशन तुषार ए. गोयल ने किया है.