केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों को लेकर शुक्रवार को हुई आठवें दौर की वार्ता का नतीजा कुछ भी नहीं निकल पाया. किसान संगठन जहां पूरी बातचीत के दौरान तीनों कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े रहे तो वहीं दूसरी तरफ सरकार कानून में संशोधन से आगे और कुछ भी मानने को तैयार नहीं थी. अब अगली बातचीत सरकार और किसानों के बीच 15 जनवरी को तय की गई है.


इधर, आठवें दौर की विफल वार्ता के बाद किसान संगठन ने अपनी लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया. उन्होंने धमकी दी है कि वे कानूनों की वापसी तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे. ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मोल्लाह ने कहा- "तीखी बहस हुई. हमने कहा कि हम कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते हैं."





मोल्लाह ने आगे कहा- हम किसी अदालत में नहीं जाएंगे. या तो ये कानून वापस लिए जाएंगे या फिर हमारी लड़ाई जारी रहेगी. 26 जनवरी को योजना के अनुसार हमारी परेड होगी. इधर, आठवें दौर की वार्ता के दौरान एक किसान नेता ने पेपर दिखाया. उस पर लिखा था- हम या तो मर जाएंगे या फिर जीत जाएंगे.


शुक्रवार को किसानों के प्रदर्शन का 44वां दिन है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसकी सीमाओं पर हजारों की तादाद में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर हरियाणा और पंजाब से आए हुए किसान है. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानूनों की वापसी के साथ एमएसपी को कानूनी गारंटी का हिस्सा बनाए. किसानों को डर है कि इन नए कृषि कानूनों के जरिए सरकार एमएसपी को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों को भरोसे छोड़ देगी. जबकि, किसानों का यह तर्क है कि इन तीनों कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में निवेश होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी.


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