India-China Tension: गलवान घाटी की झड़प के बाद चीनी सेना को बेहतर ट्रेनिंग की जरूरत महसूस हुई- CDS रावत
पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में झड़प के दौरान चीनी सेना को भारी नुकसान हुआ था. चीन को लद्दाख सेक्टर में प्रशिक्षित भारतीय सैनिकों की वजह से अपनी आक्रामकता को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को एलओसी और जम्मू कश्मीर में चल रही गतिविधियों पर न्यूज एजेंसी एएनआई से बात की. चीन को लेकर जनरल बिपिन रावत ने कहा कि गलवान घाटी और पूर्वी लद्दाख के दूसरे इलाकों में हुई झड़प के बाद चीनी तैनाती में खास बदलाव आया है. चीन ने महसूस किया है कि उन्हें बेहतर ट्रेनिंग की आवश्यकता है.
सीडीएस रावत ने कहा कि चीनी सैनिकों को कम समय के लिए तैनात किया जाता है और उन्हें हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में लड़ने का ज्यादा अनुभव नहीं है. एलएसी पर चीनी गतिविधियों के बारे में पूछने पर जनरल रावत ने कहा, "भारत के साथ लगती सीमा पर चीनी तैनाती में बदलाव आया है. खासकर मई और जून 2020 में गलवान और अन्य क्षेत्रों में हुई घटनाओं के बाद. इसके बाद, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें बेहतर ट्रेनिंग और बेहतर तैयारी करने की जरूरत है."
सीडीएस रावत ने आगे कहा, "चीन के सैनिक मुख्य रूप से सिविलियन स्ट्रीट से आते हैं. वह कुछ समय के लिए तैनात किए जाते हैं. उन्हें इस तरह के इलाकों में लड़ने और इस तरह के इलाके में काम करने का ज्यादा अनुभव नहीं है. इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है जिसमें हमारे सैनिक बहुत ही कुशल हैं. क्योंकि हमने पहाड़ों में युद्ध की कई ट्रेनिंग ली है. हम पहाड़ों में ऑपरेट करते हैं और लगातार अपनी मौजूदगी रखते हैं. वहीं चीनी सैनिकों के साथ ऐसा नहीं है. हमें सतर्क रहकर चीनी सेना की हर गतिविधि पर नजर रखनी होगी. एलएसी पर भी अपनी मौजूदगी को बरकरार रखना होगा."
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