नई दिल्ली: अब न सिर्फ सियासी तौर पर बल्कि भौगोलिक तौर पर भी जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदल रही है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 राज्यसभा से पास हो चुका है. आज लोकसभा से पास होते ही जम्मू-कश्मीर का मानचित्र बदल जाएगा. जम्मू-कश्मीर की कोख से लद्दाख नया केंद्र शासित राज्य होगा. लद्दाख के जन्म का मतलब हुआ कि करगिल और लेह भी जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं होगा.


जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 के प्रावधानों के मुताबिक करगिल और लेह को लद्दाख का हिस्सा बनाया गया है.


कैसा होगा जम्मू-कश्मीर


-आपको बता दें कि अब तक जम्मू-कश्मीर में कुल 22 जिले थे, लेकिन लद्दाख के जाने के साथ ही इसकी संख्या घट जाएगी.


-जम्मू-कश्मीर में प्रशासन के प्रमुख मुख्यमंत्री नहीं लेफ्टिनेट गवर्नर होंगे.


-जम्मू कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी, लेकिन उनके अधिकार सीमित होंगे.


-विधानसभा कानून व्यवस्था को लेकर कोई कानून नहीं बना सकेगी, लेकिन जमीन और दूसरे मुद्दों पर कानून बनाने का अधिकार होगा.


-जम्मू-कश्मीर के लोकसभा के 6 मौजूदा सांसदों को कार्यकाल में कोई बदलाव नहीं आएगा. वे अपना कार्यकाल पूरा होने तक काम करते रहेंगे. नए जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में 5 सांसद होंगे.


-जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के 4 सदस्य होते हैं, वो बदस्तूर जारी रहेगा. उनके कार्यकाल में कोई बदलाव नहीं आएगा.


कैसा होगा लद्दाख


-लद्दाख के हिस्से में करगिल और लेह आएगा. करगिल जिला नियंत्रण रेखा के पास है और 1999 का करगिल युद्ध इसी जिले में लड़ा गया था. जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने करगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था तब भारतीय सेना ने युद्ध करके अपनी जमीन वापस ली थी.


-चूंकि लद्दाख एक केंद्र शासित राज्य होगा, इस तरह प्रशासन के प्रमुख लेफ्टिनेंट गवर्नर होंगे.


-इस वक्त जम्मू-कश्मीर से लोकसभा के 6 सांसद हैं जिनमें एक सांसद लद्दाख से हैं. नए राज्य बनने के बावजूद लद्दाख के लिए एक सांसद बने रहेंगे.


अविभाजित जम्मू-कश्मीर को जानिए


2011 में भारत सरकार द्वारा जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक अविभाजित जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या 1.25 करोड़ है. इसमें 68.31 प्रतिशत मुस्लिम और 38.43 प्रतिशत हिन्दुओं की आबादी है. वहीं राज्य़ में 0.89 प्रतिशत आबादी बुद्धिस्ट लोगों की भी है.