नई दिल्ली: हरियाणा में किंगमेकर बनने के बाद अब दुष्यन्त चौटाला की निगाहें दिल्ली पर हैं. हरियाणा में बीजेपी के साथ सरकार बनाने और सत्ता पर काबिज होने से उत्साहित उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त अब अपनी पार्टी जेजेपी के पांव पसारने की तैयारी में हैं. सूत्रों के मुताबिक आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दुष्यंत चौटाला बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए बेताब हैं और इसके लिए वो लगातार बीजेपी आलाकमान से संपर्क में हैं. दुष्यंत चौटाला की निगाहें हरियाणा से सटी दिल्ली की करीब आधा दर्जन जाट बाहुल्य सीटों पर है. इन सीटों पर जेजेपी की दावेदारी को लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है और सिर्फ औपचारिक ऐलान होना बाकी है.


एक महीने पहले हुए हरियाणा चुनाव में जेजेपी और बीजेपी ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन किसी भी दल को बहुमत न मिलने की वजह से दुष्यंत ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और सूबे के उपमुख्यमंत्री बन गए. हरियाणा चुनाव में मिली जबरदस्त सफलता के बाद दुष्यंत चौटाला की नई नवेली जेजेपी को क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिल चुका है और अब वो अपनी पार्टी का हरियाणा से बाहर भी विस्तार करना चाहते हैं.


जेजेपी हरियाणा से सटी नजफगढ़, मटियाला, पालम, बिजवासन, मुंडका और नरेला विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इनमें से कोई चार सीटें जेजेपी के खाते में जा सकती हैं. हालांकि अगर दोनों दलों में सीटों के बंटवारे पर किसी वजह से बात नहीं बन पाई तो जेजेपी अकेले ही बाहरी दिल्ली की करीब एक दर्जन सीटों पर ताल ठोक सकती है. करीब एक साल पुरानी पार्टी जेजेपी ने हरियाणा में जीत दर्ज करने के बाद अब दिल्ली में भी पांव पसारने का मन बना लिया है. जेजेपी ने दिल्ली चुनाव से ठीक पहले कार्यकारिणी का गठन कर धरातल पर चुनावी अभियान की शुरुआत भी कर दी है.


इससे पहले 1998 में बीजेपी ने इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, तब इनेलो को तीन सीटें नजफगढ़, महिपालपुर और बवाना पर किस्मत आजमाने का मौका मिला था लेकिन उस समय इनेलो तीनों ही सीटों पर चुनाव हार गई थी. हालांकि अभी हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी सफलता के बाद दुष्यंत चौटाला उत्साह से लबरेज नज़र आ रहे हैं और उन्हें लगता है कि हरियाणा के बाद अब वो दिल्ली में भी जाट बाहुल्य सीटों पर अपना दम दिखा पाएंगे. वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी अब दुष्यन्त चौटाला के चुनावी करिश्मे से वाकिफ हो चुकी है और उसे भी उम्मीद है कि जाट बाहुल्य इलाकों में दुष्यंत उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं.


ये भी राजनीति का ही खेल है कि जिस आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर जेजेपी ने पहले जींद उपचुनाव और फिर लोकसभा का चुनाव लड़ा, अब उसी पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने वाली है. वहीं जिस बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़कर जेजेपी ने हरियाणा में 10 सीटें हासिल कीं, उसी बीजेपी के साथ पहले हरियाणा में सरकार बनाई और अब दिल्ली में गठबंधन करने को उतावले हुए जा रहे हैं.