Proposed Halal Ban Bill Row: कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद, अब हलाल बिल को लेकर हंगामा हो रहा है. दरअसल, बीजेपी नीत बसवराज बोम्मई सरकार के एक विधायक रवि कुमार निजी तौर पर एंटी हलाल बिल पेश करने की तैयारी में हैं. इसके लिए उन्होंने पहले राज्यपाल थावर चंद गहलोत को पत्र लिखा और अब विधान परिषद के सभापति से विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी है. अगर अनुमति मिलती है तो खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम-2006 (Food Safety and Standards Act) में संशोधन करने की कोशिश की जाएगी. कानून में संशोधन होता है तो किसी भी निजी व्यक्ति या संस्था को खाद्य पदार्थों का प्रमाणन जारी करने से रोका जा सकेगा.


विधानसभा के ऊपरी सदन के सदस्य और राज्य में बीजेपी के महासचिव रवि कुमार का दावा है कि अभी मुस्लिम निकाय हलाल सर्टिफिकेशन (प्रमाणीकरण) करते हैं जो इसके लिए भारी शुल्क लेते हैं और इससे बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. रवि कुमार के मुताबिक, सर्टिफिकेशन करने वाले मुस्लिम निकायों की पहचान और स्थिति स्पष्ट नहीं है. विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि हलाल प्रमाणीकरण पर तब तक प्रतिबंध लगा दिया जाए जब तक कि एक मान्यता प्राप्त अथॉरिटी नियुक्त न हो जाए. रवि कुमार ने विधान परिषद के सभापति को जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा गया है कि प्रस्तावित संशोधन राज्य सरकार पर किसी तरह का वित्तीय बोझ नहीं डालेगा, बल्कि सरकारी खजाने में 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व बढ़ेगा. 


हिंदूवादी संगठन कर रहे हलाल मीट का विरोध


हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने को लेकर राज्य में हिंदूवादी संगठनों की ओर कई दफा प्रदर्शन किए जा चुके हैं. इसी साल दिवाली से पहले कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने केएफसी और मैकडॉनल्ड्स जैसे आउटलेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और मांग की थी कि गैर-मुस्लिमों को हलाल सर्टिफाइड मीट नहीं देना चाहिए.


रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में बीजेपी के एक नेता हलाल मीट कारोबार को 'आर्थिक जिहाद' कहा था. नवरात्रि और उगादी त्योहारों के दौरान कई हिंदूवादी संगठनों ने हलाल मीट परोसने वाले होटल, रेस्टोरेंट और भोजनालयों के बहिष्कार का आह्वान किया था. 


क्या होता है हलाल मीट?


इस्लाम धर्म के अनुसार हलाल का मतलब 'जायज' होता है. इस्लाम के धार्मिक निर्देशों के अनुसार, जानवरों का वध करके जो मीट प्राप्त होता है, उसे हलाल मीट कहते हैं. इस प्रक्रिया में जानवरों का वध एकदम से न करते हुए, उनकी कुछ नसों को काट दिया है जिससे शरीर का पूरा रक्त निकल जाता है. दावे के मुताबिक, इस प्रक्रिया में जानवर को तकलीफ कम होती है. 


अगले साल चुनाव, हंगामा अभी से बरपा!


चूंकि अगले वर्ष ही राज्य में विधानसभा चुनाव होना है, कांग्रेस की ओर से सरकार पर मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया जा रहा, हिंदूवादी संगठनों का आरोप है कि एक विशेष समुदाय की फिक्र करते हुए हलाल मीट बेचा जा रहा है और हलाल पर बैन लगाने वाला बिल वापस किया जाएगा या नहीं, राज्य सरकार इसे लेकर स्पष्ट नहीं है तो मामले के तूल पकड़े के पूरे आसार हैं. 


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ''देखते हैं कि यह कब आता है, प्राइवेट मेंबर बिल की अपनी स्थिति होती है. हम देखेंगे कि यह क्या है.'' कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार (19 दिसंबर) को शुरू होने के साथ ही मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू हो चुका है. कांग्रेस ने दावा किया है कि अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं तो हलाल पर प्रतिबंध की मांग सत्तारूढ़ पार्टी के कुशासन और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की उसकी एक चाल है. 


बीजेपी अगर ऐसा बिल लाती को दुनिया सराहती- कांग्रेस नेता


समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने मंगलवार (20 दिसंबर) को कहा, ''यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव कर रही है. प्राइवेट मेंबरशिप बिल हर सदस्य का अधिकार है लेकिन अगर वे आम आदमी की समस्याएं कम करने के लिए एक विधेयक लाए होते तो दुनिया सराहना करती.''


क्या है कर्नाटक हिजाब विवाद?


बता दें कि इस साल की शुरुआत में कर्नाटक उस समय अशांति से गुजरा जब राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों में छात्राओं के हिजाब इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था. हाई कोर्ट ने बैन को बरकरार रखा था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब मामले पर एक खंडित फैसला सुनाया था, जिसमें एक न्यायमूर्ति ने कहा था कि सरकार स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने के लिए अधिकृत है और दूसरे ने हिजाब को पसंद का मामला बताया था.


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