Karnataka: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुश्किलों का सामना कर रही है. कर्नाटक में ठेकेदारों का बकाया बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. पिछले करीब 15 महीनों में कर्नाटक सरकार ने कई भुगतान किए हैं लेकिन अब भी उसपर 25,000 करोड़ रुपये बकाया है. 


मई, 2023 में सत्ता में आने वाली कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को राज्य की पिछली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार से विरासत में ठेकेदारों का 20,000 करोड़ रुपये का बिल मिला. इस संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने कहा कि कर्नाटक सरकार का राजस्व बढ़ा है और जल्द ही स्थिति को काबू में कर लिया जाएगा. 


पिछली सरकार पर साधा निशाना


मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने बीजेपी की पिछली सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, 'पिछली बीजेपी सरकार ने अंधाधुंध 2,45 लाख करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी और इसके लिए सिर्फ 45,000 करोड़ रुपये ही आवंटित किए. हमारी सरकार के पास उन कार्यों के भुगतान के पर्याप्त पैसा उपलब्ध नहीं हैं. सरकार ने मुख्यमंत्री की अहम परियोजनाओं के लिए धन आवंटित किया है जबकि कम महत्वपूर्ण कार्यों को रोक दिया गया है. कर्नाटक सरकार ने इस साल राज्य की लंबित परियोजनाओं के लिए पहली किस्त के रूप में 800 करोड़ रुपये जारी किए.'


क्या बोले ठेकेदार संघ के अध्यक्ष?


कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ के अध्यक्ष डी केम्पन्ना ने इन हालातों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, 'भुगतान ना किए जाने की वजह से जल संसाधन, लोक निर्माण और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभागों के ठेकेदार, राज्य सरकार की परियोजनाओं पर धीमी गति से काम करने के मजबूर हैं. भुगतान किए जाने के संबंध में अगले सप्तार ठेकेदारों की बैठक होगी जिसमें अगले कदम पर फैसला लिया जाएगा.'


भाजपा सरकार पर लगाया आरोप


ठेकेदार संघ ने भाजपा सरकार पर रिश्वत मांगने का भी आरोप लगाया है. ठेकेदार संघ ने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने बकाया राशि का भुगतान करने के लिए 40 प्रतिशत रिश्वत मांगी थी. कर्नाटक सरकार ने इन आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएन नागमोहन दास के नेतृत्व में एक आयोग का गठन कर दिया है. 


हिमाचल प्रदेश सरकार का खाली हुआ खजाना?


बता दें कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार का खजाना खाली होने की भी बात सामने आई थी. हिमाचल प्रदेश में मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने दो महीने का वेतन न लेने का फैसला किया है. हिमाचल सरकार ने भी दावा किया कि वो जल्द इस संकट से उबर जाएगी. 


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