नई दिल्ली: बीजेपी के हाथ से कैराना लोकसभा सीट छीनने वाली आरएलडी (राष्ट्रीय लोक दल) के जयंत चौधरी ने अपने ताज़ा बयान से 2019 आम चुनाव की तस्वीर साफ कर दी है. अपनी प्रत्याशी तबस्सुम हसन की जीत से उत्साहित जयंत का कहना है कि बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के खिलाफ 2019 के आम चुनाव में विपक्ष के केंद्र में राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस होगी.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इस चुनाव नतीजे से सबक ले तो मध्य प्रदेश और राजस्थान जीत सकती है. जयंत चौधरी का कहना है कि यहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत नहीं, इस वजह से सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है, ऐसे में कांग्रेस को अपनी स्थिति बेहद पुख्ता करने के लिए इन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लाना चाहिए.
जयंत कहते हैं, "ऐसी कोई वजह नहीं है जिसके चलते राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को साथ नहीं ला सकती." जयंत मांग नहीं, बल्कि सलाह के तौर पर कहते हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस प्रमुख विपक्ष है वहां बीएसपी और आरएलडी जैसी पार्टियों को साथ लाकर कांग्रेस गठबंधन को मजबूत कर सकती है.
आपको बता दें कि तबस्सुम की जीत के लिए जयंत को बीजेपी की तमाम विपक्षी पार्टियों से हाथ मिलाना पड़ा. इनमें अखिलेश यादव की एसपी (समाजवादी पार्टी), मायावती की बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) और कांग्रेस जैसी पार्टियां शामिल रहीं. इस जीत को 2019 में बीजेपी को हराने के फॉर्मुल के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि अगर विपक्ष मौके और नज़ाकत के हिसाब से एकजुट होता है तो बीजेपी को हराया जा सकता है.
जयंत का कहना है कि कई ऐसी क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो कांग्रेस के साथ काम करना चाहती हैं. इन्हें बस सही मंच और उचित सम्मान की दरकार है. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस को इन पार्टियों को साथ लाना पड़ेगा. ऐसे ही इशारे मायावती ने भी दिए हैं. उन्होंने कहा है कि अगर सीटों का बंटवारा सम्माजनक रूप से होता है तो ठीक है, वरना बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी.
बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस ऐसे किसी गठबंधन के लिए तैयार होगी जिसमें उसका कद छोटा हो जाए. बिहार के महागठबंधन में कांग्रेस शामिल हुई और उसे फायदा हुआ. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर को साथ लिया और उसका फायदा हुआ. कर्नाटक विधानसभा के नतीजों के बाद जेडीएस (जनता दल सेक्यूलर) को बिना शर्त समर्थन दिया और सरकार बना ली. ये उदाहरण बताते हैं कि ज़रूरत पड़ने पर कांग्रेस जूनियर प्लेयर बनकर भी खेल सकती है.
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने भी कर्नाटक में जेडीएस को दिए गए समर्थन का उदाहरण देते हुए कहा कि पार्टी परिस्थिति के मुताबिक ऐसे गठबंधन के लिए तैयार है.