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यूपी में गोंड समुदाय को ST में शामिल करने के प्रस्ताव वाला बिल राज्यसभा में पेश, लोकसभा से मिल चुकी है मंजूरी
Parliament Winter Session: यूपी में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव वाला बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया गया. लोकसभा से पहले ही इसे मंजूरी मिल चुकी है.
![यूपी में गोंड समुदाय को ST में शामिल करने के प्रस्ताव वाला बिल राज्यसभा में पेश, लोकसभा से मिल चुकी है मंजूरी After lok sabha Bill proposing to include Gond community in UP in ST has been introduced in Rajya Sabha यूपी में गोंड समुदाय को ST में शामिल करने के प्रस्ताव वाला बिल राज्यसभा में पेश, लोकसभा से मिल चुकी है मंजूरी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/12/13/9caeb5b9440f771289b4d3686a9fc6e71670937638889502_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Parliament Winter Session: राज्यसभा ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के लिए एक विधेयक पेश किया. आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने लंच ब्रेक के बाद अपराह्न 2 बजे ऊपरी सदन के फिर से शुरू होने पर विधेयक पेश प्रस्ताव पेश किया. संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) बिल, 2022 इस साल अप्रैल में लोकसभा से पारित हो चुका है.
बिल संविधान (अनुसूचित जनजाति) (उत्तर प्रदेश) आदेश, 1967 (एसटी आदेश) और संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 (एससी आदेश) को उत्तर प्रदेश में इसके आवेदन के संबंध में संशोधित करने के लिए है.
कांग्रेस ने किया समर्थन, सरकार पर लगाया आरोप
यह उत्तर प्रदेश के चार जिलों: चंदौली, कुशीनगर, संत कबीर नगर, और संत रविदास नगर में गोंड समुदाय को अनुसूचित जाति के रूप में अनुसूचित जाति के आदेश में संशोधन करने वाला है. कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने बिल का समर्थन किया, लेकिन हैरानी जताई कि प्रस्तावित कानून के दायरे से अन्य समुदायों को क्यों बाहर रखा गया. उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आती है तो देश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार बढ़ जाते हैं.
तृणमूल कांग्रेस ने भी किया समर्थन, उठाए सवाल
तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने कहा, "मैं इस बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन मैं इस सरकार द्वारा एससी और एसटी के कल्याण के नाम पर किए जाने वाले प्रतीकवाद का विरोध करता हूं." उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि "अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने के बजाय वास्तव में देश के पिछड़े समुदायों की भलाई के लिए सकारात्मक सोचने का प्रयास करें." सेन ने कहा कि सरकार को अलग-अलग बिल लाने के बजाय अलग-अलग राज्यों में कुछ अन्य समुदायों को शामिल करने के लिए व्यापक उपाय करने चाहिए थे.
विपक्ष ने किया समर्थन, सरकार को दिया सुझाव
सदन में विपक्षी सदस्यों ने पार्टी लाइन से हटकर प्रस्तावित कानून का समर्थन किया लेकिन अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की श्रेणियों में अधिक समुदायों को शामिल करने का आह्वान किया. बीजद के निरंजन बिशी, वाईएसआरसीपी के सुभाष चंद्र बोस पिल्ली और सीपीआई (एम) के वी शिवदासन ने विधेयक का समर्थन किया.
वहीं बसपा के रामजी ने भी बिल का समर्थन किया लेकिन दावा किया कि देश में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं. उन्होंने ऐसी घटनाओं के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आह्वान किया.
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