(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मनमोहन वैद्य के बाद अब एमजी वैद्य का बयान ,कहा- SC-ST के अलावा सभी आरक्षण की हो समीक्षा
नई दिल्लीः आरएसएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने देश में आरक्षण खत्म करने की बात कही जिसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला. आरक्षण पर बयान को लेकर उठा ये बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब मनमोहन वैद्य के पिता और संघ के पूर्व प्रवक्ता एमजी वैद्य ने आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. एमजी वैद्य ने कहा कि 'एससी-एसटी के लिए आरक्षण की आवश्यकता है लेकिन बाकी जिन्हें आरक्षण मिल रहा है उन्हें इसका लाभ मिला है या नहीं इसके लिए एक निष्पक्ष कमेटी का गठन हो जो इसकी समीक्षा करे. कुछ जातियों को छोड़कर बाकी जातियों और समुदायों को मिलने वाले आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए.''
चुनाव पर मनमोहन वैद्य के बयान का असर पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में एमजी वैद्य ने कहा, ''जिन राज्यों में चुनाव होने हैं मैं वहां को जनमानस को नहीं जानता तो इस विषय पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.''
मनमोहन वैद्य का बयान आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को आरएसएस के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने कहा है कि आरक्षण खत्म होना चाहिए. जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल के दौरान एक सवाल के जवाब में मनमोहन वैद्य ने कहा, “आरक्षण के नाम पर सैकड़ों साल तक लोगों को अलग करके रखा गया, जिसे खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी है इन्हें साथ लाने के लिए आरक्षण को खत्म करना होगा.आरक्षण देने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है. आरक्षण के बजाय अवसर को बढ़ावा देना चाहिए.”
बिहार चुनाव से पहले मोहन भागवत ने ऐसा ही बयान दिया था जो मुद्दा बना था. इसके बाद खुद प्रधानमंत्री मोदी को सामने आकर कहना पड़ा था कि आरक्षण कोई हाथ भी नहीं लगाएगा.
मनमोहन वैद्य ने बयान पर दी सफाई मनमोहन वैद्य ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, ”मैंने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था. मैंने कहा था जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण रहेगा. धर्म के आधार पर आरक्षण से अलगाववाद बढ़ता है. संघ आरक्षण दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण के पक्ष में है.”
क्यों अहम है मनमोहन वैद्य का बयान चुनावी माहौल में ये बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि यूपी में 21 फीसदी दलित 40 फीसदी ओबीसी पंजाब में 30 फीसदी दलित वोट है. आपको बता दें कि यूपी के दलितों में गैर जाटव दस फीसदी वोटबैंक पर बीजेपी की पकड़ मानी जाती जबकि चालीस फीसदी ओबीसी में से इस वक्त गैर यादव ओबीसी को बीजेपी का वोटबैंक माना जा रहा है. लेकिन RSS के आरक्षण विरोधी बयान से बीजेपी को अब दोबारा अपनी रणनीति बनानी पड़ सकती है.