श्रीनगर: नेशलन कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने चीन से बात और उसने एलएसी से अपने ट्रूप्स हटा लिए, उसी तरह पाकिस्तान से भी बात हो. इससे पहले पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू कश्मीर मुद्दे का हल भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ बातचीत के जरिए हो सकता है.


फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "ये सही है कि आतंकवाद अभी भी मौजूद है. वे गलत हैं जब वे ये कहते हैं कि ये खत्म हो गया. अगर हमें आतंकवाद को खत्म करना है तो हमें अपने पड़ोसियों से बातचीत करनी पड़ेगी. मुझे अटल बिहारी वाजपेयी का बयान याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं."





वहीं भारत-चीन सीमा विवाद पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "मसला बड़ा है बातचीत फिर से शुरू होगी क्योंकि सीमा निर्धारित नहीं है. दोनों देशों को बैठकर सीमा को तय करना पड़ेगा. यह मसला खत्म हो जाए उससे दोनों देश खुश रहेंगे. दोनों ताकतवर देश हैं और दोस्ती में तरक्की करेंगे."


महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा था?


महबूबा मुफ्ती ने कुपवाड़ा जिले के जिरहामा इलाके का दौरा करने के बाद कहा कि केंद्र सरकार को वार्ता प्रक्रिया में केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को भी शामिल करना चाहिए. वह शुक्रवार को आतंकवादी हमले में मारे गये एक पुलिसकर्मी के परिवार से मिलने के लिए वहां गई थीं. उन्होंने कहा कि उन्हें जम्मू कश्मीर में पिछले कई वर्षों में लोगों की जान जाने को लेकर खेद है. उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत, चीन के साथ बातचीत कर सकता है, तो पाकिस्तान के साथ भी वार्ता की जानी चाहिए.


इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘चीन हमारे क्षेत्र में घुस गया और हमारे (सेना के) 20 जवानों को मार डाला. लेकिन, इसे बावजूद भी उसके साथ वार्ता की जा रही है, जो एक अच्छी चीज है. दर्जनों बार वार्ता हुई है और कुछ समाधान देखे जा सकते हैं. ’’


पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के बीच जंग का मैदान बन गया है और लोग--पुलिसकर्मी, आम आदमी तथा सुरक्षाकर्मी--दोनों ओर (सीमा के) मारे जा रहे हैं. ’’उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी मुद्दे का समाधान युद्ध नहीं है. बंदूक से कोई मुद्दा नहीं सुलझा है--चाहे वह आतंकवादी हों या सुरक्षा बल. इसलिए, हमें सोचना चाहिए कि दुनिया में जिस तरह कोई भी मुद्दा वार्ता के जरिए सुलझाया जाता है, उसी तरह से पाकिस्तान के साथ भी तथा जम्मू कश्मीर में भी वार्ता करने की जरूरत है.’’


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