Money Laundering Case: महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की गिरफ्तारी पर जो राजनीतिक तापमान बढ़ा है उसकी तपिश सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं बल्कि चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश और उसके भी आगे पश्चिम बंगाल तक दिख रहा है. यानी पश्चिम से पूरब तक. आज का दिन और हंगामे से भरा रहने वाला है. नवाब मलिक तो ईडी के दफ्तर में हिरासत में हैं, लेकिन बाहर सड़कों पर सियासी संग्राम होने वाला है और इसमें दोनों ही पक्ष शामिल होंगे. एक तरफ एनसीपी और उसके समर्थक तो दूसरी ओर बीजेपी.
महाविकास अघाड़ी के नेता आज मुंबई में मंत्रालय के सामने प्रदर्शन कर नवाब मलिक की गिरफ्तारी का विरोध करेंगे तो बीजेपी पूरे महाराष्ट्र में नवाब मलिक के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाली है. क्योंकि नवाब मलिक उद्धव सरकार में मंत्री हैं. उन्होंने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है और गिरफ्तारी के बाद अब एनसीपी-बीजेपी में लड़ाई नवाब मलिक के इस्तीफे पर आ गई है.
महाविकास अघाड़ी के भीतर भी खलबली मची है. बीती रात एनसीपी चीफ शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की तो उससे पहले शरद पवार के घर पर अजीत पवार समेत एनसीपी के तमाम मंत्रियों और नेताओं ने मीटिंग की और मलिक की गिरफ्तारी के बाद पैदा हुए हालात पर चर्चा हुई. सरकार में कांग्रेस के कोटे से मंत्री बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण ने भी शरद पवार से मुलाकात की है.
महा विकास अघाड़ी नवाब मलिक के साथ खड़ी दिख रही है और पूरी कार्रवाई को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है. लेकिन बीजेपी की ओर से देवेंद्र फडणवीस आरोपों के साथ अड़े हैं. शिवसेना के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत तो अलग ही बयानबाजी कर रहे हैं.. बदले की कार्रवाई बता कर बदला लेने की धमकी दे रहे हैं. नवाब मलिक पर कार्रवाई को संजय राउत महाराष्ट्र बनाम दिल्ली बनाने की कोशिश कर रहे हैं और 2024 में चुनौती देने की चेतावनी विपक्षी एकजुटता के रुप में संजय राउत के बयान का असर भी दिख रहा है.
यूपी और बंगाल तक से बीजेपी के विरोधियों का समर्थन मिलने लगा है. अखिलेश यादव ने गोंडा की रैली में कहा कि बीजेपी जब घबराती है, तब एजेंसियों का इस्तेमाल करके अपमानित करती है. तो जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी NCP प्रमुख शरद पवार से फोन पर बात की है और नवाब मलिक को इस्तीफा ना लेने को कहा.
लेकिन अगर नवाब मलिक इस्तीफा नहीं लेते हैं तो देवेंद्र फडणवीस जो बात कह रहे हैं कि संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा. इस पर संविधान के एक्सपर्ट क्या कहते हैं. ये जानना भी जरूरी है. यानी नियम के मुताबिक गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है और वो भी नैतिक तौर पर. लेकिन सवाल है क्या नैतिक तौर पर उद्धव ठाकरे अब नवाब मलिक को मंत्रालय से हटाने का फैसला लेंगे. उनका फैसला जो भी हो लेकिन ये तय है कि राजनीतिक तौर पर इस मामले में सड़कों पर संग्राम अभी खूब चलेगा.
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