नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अप्रैल को लोगों से रात नौ बजे से नौ मिनट तक अपने घर की बत्ती बुझा कर दीया या मोमबत्ती जलाने की अपील की है, ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई के प्रति एकजुटता और प्रतिबद्धता दिखाई जा सके. पांच अप्रैल को जहां देश के लोग प्रधानमंत्री की अपील पर अपने अपने घरों की बत्ती बुझाकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता दिखाएंगे उस समय बिजली वितरण करने वाली कंपनी और बिजली मंत्रालय के लोगों की नजर कहीं और होगी.


प्रधानमंत्री की अपील के बाद से ही बिजली मंत्रालय ने उन 9 मिनटों की तैयारी शुरू कर दी है. ये तैयारी ग्रिड को लेकर है. दरअसल देश में बिजली पहुंचाने का काम नेशनल और रीजनल ग्रिड के जरिए ही होता है. ये ग्रिड आपस में एक दूसरे से जुड़े होते हैं.


सरकार में समीक्षा इस बात को लेकर हो रही है कि पांच अप्रैल को जब अचानक देश के घरों की बत्तियां बंद होंगी और 9 मिनटों के बाद फिर एक साथ जल उठेंगी तब ग्रिड की फ्रीक्वेंसी और स्थायित्व पर कोई दबाव नहीं आए. फ्रीक्वेंसी में अचानक बदलाव आने से कभी कभी ग्रिड के फेल होने का भी खतरा रहता है. इसकी वजह ये है कि लॉकडाउन के चलते पहले से ही देश भर में बिजली की मांग और खपत में 30 फीसदी की कमी दर्ज की जा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल दो अप्रैल को जहां बिजली की मांग 168 GW थी वहीं दो दिनों पहले यानि इस साल 2 अप्रैल को ये 125 GW रही थी.


हालांकि सूत्रों के मुताबिक इसको लेकर चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि घरों में खर्च होने वाली बिजली कुल बिजली खपत का महज 10 - 15 फीसदी होता है. ऐसे में हम पहले से ही इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को बिजली मंत्री आर के सिंह ने पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और बिजली वितरण से जुड़ी अन्य एजेंसियों और अधिकारियों के साथ बैठक की.


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