पंजाब के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में खत्म होगी गुटबाजी, आलाकमान ने उठाये ये कदम
कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब का झगड़ा निपटाने के बाद राजस्थान का रुख करते हुए के सी वेणु गोपाल और अजय माकन को राजस्थान का फसाद निपटाने की जिम्मेदारी दी है.
राजस्थान कांग्रेस में पिछले करीब एक साल से जारी गुटबाजी को खत्म करने की कवायद बुधवार से शुरु होने जा रही है. कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब का झगड़ा निपटाने के बाद राजस्थान का रुख करते हुए के सी वेणु गोपाल और अजय माकन को राजस्थान का फसाद निपटाने की जिम्मेदारी दी है. पहले चरण में रविवार को दोनों नेता जयपुर आये थे और सी एम् अशोक गहलोत से मुलाक़ात के बाद काफी विधायकों से भी मिले. अब दूसरा चरण बुधवार की सुबह से शुरु होगा जब राजस्थान के प्रभारी अजय माकन एक-एक करके सभी विधायकों से जिलेवार मुलाक़ात करेंगे.
गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा
माकन की विधायकों की संभावित मुलाक़ात से पहले ही राजस्थान के गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा भी जोर पकड़ रही है. किसकी कुर्सी जायेगी और किसकी होगी मंत्री पद पर ताजपोशी ये सब बातें अब सियासी गलियारों में सुनाई दे रही है. वैसे इतना तय है कि राजस्थान में कांग्रेस के सभी विधायकों को साध पाना माकन समेत सभी नेताओं के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसकी बड़ी वजह है दो हिस्सों में विभाजित राजस्थान कांग्रेस. एक तरफ अशोक गहलोत का खेमा और दूसरी तरफ सचिन पायलट का खेमा. ये देखना रोचक होगा कि किस खेमे को संभावित फेरबदल में ज़्यादा तवज्जो मिलती है.
फेरबदल को लेकर जारी चर्चा एक तरफ लेकिन एक बात तो करीब-करीब तय है कि राज्य के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा को मंत्रिमंडल से बाहर किया जा रहा है. डोटासरा अपने रिश्तेदारों को राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा के इंटरव्यू में ज़्यादा अंक मिलने के विवाद से घिरे हुए है और दो दिन पहले वो खुद भी ये बात कह चुके है कि वो दो पांच दिन के ही मेहमान है. ऐसे में डोटासरा सिर्फ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ही रह जाएंगे.
पायलट गुट के विधायकों को मंत्री पद की मांग
मंत्रिमंडल में कौन शामिल होगा और किसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा ये बात पूरी तरह इस पर निर्भर रहेगी कि ज़्यादा वजन गहलोत को मिलेगा या पायलट गुट की सुनवाई होगी. जानकारों के अनुसार, पायलट गुट ने अपने छह विधायकों को मंत्री पद देने की मांग पार्टी आलाकमान से की है. लेकिन गहलोत कभी भी पायलट खेमे को इतने मंत्री पद देने पर सहमत नहीं होंगे.
ऐसे में बीच का रास्ता निकालकर पायलट खेमे से तीन मंत्री बृजेन्द्र ओला, दीपेंद्र सिंह शेखावत और मुरारी लाल मीणा को मंत्री बनाया जा सकता है. एक अन्य वरिष्ठ विधायक हेमा राम चौधरी जो कि पायलट खेमे से हैं, उन्हें विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाने पर विचार चल रहा है. लेकिन बताया जा रहा है कि खुद हेमा राम इसके लिए तैयार नहीं है.
अब बात गहलोत गुट के संभावित उन नामों की जिन्हे गहलोत मंत्री पद से नवाजना चाहते है. इस सूची में करीब आठ नाम हैं- जिनमें डॉ. महेश जोशी, डॉ. जितेन्द्र सिंह, खिलाड़ी लाल बैरवा,शकुंतला रावत, साफिया जुबेर, डॉ राजकुमार शर्मा और राजेंद्र सिंह विधूड़ी प्रमुख है.
इन मंत्रियों को कुर्सी छिनने का डर
अभी राजस्थान के मंत्रिमंडल में कुल 21 मंत्री है और मंत्रियों की अधिकतम सीमा तीस है. करीब एक दर्जन नए मंत्री बनाने के लिए कुछ पुराने मंत्रियों को हटाया भी जा सकता है. जिन मंत्रियों पर कुर्सी छिनने की तलवार लटक रही है उनमे प्रमुख है -
उद्योग मंत्री -परसादी लाल मीणा
सहकारिता मंत्री -उदय लाल आंजना
महिला एवं बाल विकास मंत्री - ममता भूपेश
खान मंत्री - प्रमोद जैन भाया
वन मंत्री -सुखराम विश्नोई
गृह राज्य मंत्री-भजन लाल जाटव और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास.
वैसे खाचरियावास पहले सचिन खेमे में थे और उसी कोटे से उन्हें मंत्री पद मिला था लेकिन सचिन पायलट की बगावत के वक़्त उन्होंने सीएम गहलोत का दामन थाम लिया था. ऐसे में बहुत संभव है कि उन्हें गहलोत का आशीर्वाद मिल गया तो उनकी कुर्सी बच सकती है.
बीएसपी से जीतकर आए विधायकों को मिल सकता है ईनाम
इन दो गुटों के अलावा गहलोत अपने ख़ास और निष्ठावान कुछ निर्दलीय विधायकों को भी मंत्री बनवाना चाह रहे है. बीएसपी से जीत कर आये छह विधायकों ने संकट के वक़्त गहलोत का साथ देने के लिए पूरी पार्टी को कांग्रेस में विलय करवा दिया था. अब अगर इन्हे ईनाम देने बात हुई तो राजेंद्र सिंह गुढ़ा और जोगेंद्र सिंह अवाना को मंत्री पद दिया जा सकता है.
वैसे कुछ और विधायकों को सत्ता का स्वाद चखाने के लिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति का सहारा भी लिया जा सकता है. चर्चा है कि करीब एक दर्जन विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है. इसके अलावा पजाब की तर्ज पर प्रदेश कांग्रेस में चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करके इतने ही विधायकों को खपाया जा सकता है. अब सबकी निगाहे बुधवार से शुरु होने जा रही माकन सर की क्लास पर रहेंगी.
अजय माकन पर टिकीं सबकी निगाहें
अजय माकन की विधायकों से मुलाकत को लेकर कांग्रेस दफ्तर से सभी विधायकों को फोन पर सूचना दी जा रही है. माकन कांग्रेस के 106, निर्दलीय 13 और एक आरएलडी विधायक से बातचीत करेंगे. कांग्रेस के एक विधायक और विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी को इस राय शुमारी से अलग रखे जाने के कारण कुल 119 विधायकों से माकन की मुलाकात होगी. पहले दिन माकन सुंबह दस बजे पहले जयपुर, झुंझुनू,सीकर के विधायकों से मिलेंगे. इसके बाद दोपहर के भोजन का ब्रेक होगा फिर माकन की अलवर, दौसा, बारां,बूंदी, कोटा,भरतपुर, धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर के विधायकों से बातचीत होगी.
दूसरे दिन माकन सुबह से फिर अन्य जिलों के विधायकों से मुलाकात का सिलसिला शुरु करेंगे. अजमेर से ये सिलसिला शुरु होगा और फिर नागौर,भीलवाड़ा, टोक,उदयपुर, राजसमंद,प्रतापगढ़, डूंगरपुर,चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, और डूंगरपुर के विधायक माकन से मुलाकत करेंगे. इसके बाद बीकानेर, चुरु, गंगानगर,हनुमानगढ़, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर,पाली,जालोर, सिरोही के विधायक माकन से मुलाकत करेंगे.
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