राज्यसभा चुनाव से समीकरण बदले, गांधी परिवार को लोकसभा चुनाव में उसके गढ़ में मिल सकती है कड़ी चुनौती
Lok Sabha Election 2024: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे. वहीं रायबरेली सीट से इस आम चुनाव में कांग्रेस की पूर्व अध्यश्र सोनिया गांधी नहीं लड़ेंगी.
Lok Sabha Election 2024: हालिया राज्यसभा चुनाव से गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाली रायबरेली और अमेठी में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए समीकरण बदल गए हैं. बीजेपी ने इन दोनों सीटों के लिए तगड़ी घेराबंदी शुरू कर दी है. फिलहाल, अमेठी लोकसभा सीट बीजेपी के पास ही है, लेकिन, उसकी निगाहें रायबरेली सीट पर भी हैं.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के बाद बीजेपी इस सीट पर जीत को आसान मान रही है. यहां पर बीजेपी सपा के बागी विधायक मनोज पांडेय के माध्यम से सेंधमारी करने की फिराक में है.
वहीं, बीजेपी ने अमेठी में सपा विधायक राकेश सिंह को अपने पाले में लाकर इस सीट पर अपने दावे को और मजबूत बना दिया है. 'इंडिया' गठबंधन में शामिल सपा के विधायकों के पाला बदलने से कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है. उसे अब इन दोनों सीटों के लिए अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी.
क्या संदेश जा रहा है?
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि राज्यसभा चुनाव के जरिए बीजेपी ने गांधी परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली और अमेठी पर समीकरण बदलने के लिए मजबूर कर दिया है. राकेश सिंह और मनोज पांडेय के माध्यम ना सिर्फ गठबंधन के वोटबैंक पर सेंधमारी होगी, बल्कि, उनके सामने चुनौती भी खड़ी करेंगे.
सबसे बड़ी बात है कि गायत्री प्रजापति राज्यसभा चुनाव में भले अनुपस्थित रहे हों, मगर उन्होंने ण्क तरह से भाजपा की मदद ही की है, ऐसे में कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। अगर रायबरेली से प्रियंका गांधी और अमेठी से राहुल गांधी न लड़ें तो गठबंधन को उम्मीदवार तलाशने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
रायबरेली और अमेठी की सियासत पर दशकों से नजर रखने वाले तारकेश्वर मिश्रा कहते हैं कि अमेठी में अगर राहुल गांधी चुनाव लड़ते हैं तो उनके सामने काफी बड़ी चुनौती रहेगी. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी लगातार अपने क्षेत्र में बनी हुई हैं. वह हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में अपने क्षेत्र में ही रहती हैं. साथ ही, उन्होंने वादे के मुताबिक अपना आशियाना भी तैयार कर लिया है. यहां से लोगों की समस्या सुनी जा रही हैं और इसका बड़ा संदेश है.
मनोज पांडेय कि किन लोगों में पकड़ है?
रायबरेली की बात करें तो मनोज पांडेय की इस क्षेत्र के ब्राह्मणों में ठीक पकड़ है, इसीलिए बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में वो पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद 2017 और 2022 के चुनाव में भी उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी.
मनोज पांडेय का रायबरेली और आसपास के जिलों में भी अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है. जबसे ऊंचाहार विधानसभा सीट बनी है, तब से डॉ. मनोज कुमार पांडेय ही यहां के विधायक हैं. मनोज पांडेय सपा संस्थापक मुलायम सिंह के विश्वसपात्र थे. वह बीते कई वर्षों से सपा में हैं. वह जनेश्वर मिश्रा और ब्रजभूषण तिवारी के खास रहे हैं.
मनोज पांडेय ने अपनी पहचान ब्राह्मण चेहरे के रूप में बनाई है. राकेश प्रताप भी तीन बार के विधायक रहे हैं. उनका गौरीगंज इलाके में ठीक-ठाक पकड़ है. राकेश सिंह से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अच्छे संबंध हैं.
बदले समीकरण
गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी के भी स्मृति ईरानी से काफी अच्छे संबंध हैं. वह उनके यहां समारोह में शिरकत कर चुकी हैं. राज्यसभा में ये तीनों बीजेपी के लिए काफी मुफीद हैं. बीजेपी ने अमेठी और बरेली में मजबूत फिल्डिंग लगा दी है.
तारकेश्वर मिश्रा ने चुनाव आयोग के आंकड़े के हवाले से बताया कि रायबरेली में करीब 11 फीसदी ब्राह्मण और 9 फीसदी ठाकुर हैं. अभी तक ये कांग्रेस को वोट करते थे. अब बदले हुए समीकरण में देखना है कि इनका क्या रुख रहता है. अमेठी में 11 फीसदी क्षत्रिय और लगभग 18 फीसदी ब्राह्मण हैं.
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