श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में बीजेपी के महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार गिर गई है. किसी पार्टी के पास बहुमत ना होने की वजह से राज्यपाल शासन लगना तय माना जा रहा है. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस दोनों ही पार्टियों ने पीडीपी को समर्थन देने से इनकार कर दिया है. वहीं दूसरी ओर सरकार गिरने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आईं महबूबा मुफ्ती ने अपनी सरकार की उपल्धियां गिनाते हुए कहा कि यहां सख्त नीति नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए गठबंधन नहीं किया था बल्कि बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया था. उन्होंने ये भी साफ किया कि अब किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगी. हालांकि इस दौरान महबूबा मुफ्ती बीजेपी पर उतनी सख्त नजर नहीं आईं.
बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया- महबूबा
सरकार गिरने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आई महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''आप सभी लोग जानते हैं कि आज बीजेपी की ओर से समर्थन वापसी के बाद अपनी इस्तीफा गवर्नर को भेज दिया है. लोगों मिजाज के खिलाफ हमने बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया, हमें कई महीने लगे आपस में तालमेल बनाने के लिए इसका बेसिक आधार जम्मू कश्मीर के लोगों में विश्वास पैदा करना, पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते था. हमने 11 नौजवानों के खिलाफ केस वापस लिए. जम्मू कश्मीर से हम दुश्मन राज्य की तहत व्यवहार नहीं कर सकते इसी लिए हमने सीजफायर करवाया, जिसका लोगों ने समर्थन किया. सालों बाद जम्मू कश्मीर के लोग इत्मिनान से रह रहे थे. जम्मू कश्मीर में बाहुबल की नीति नहीं चल सकती.''
ताकत के लिए नहीं किया गठबंधन- महबूबा
महबूबा मुफ्ती ने कहा, ''हमने यह गठबंधन ताकत के लिए नहीं किया था, ताकत के लिए किया होता तो उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस हमें समर्थन देने के लिए तैयार थे लेकिन हमने बड़े मकसद से बीजेपी के साथ गठबंधन किया. हमारा एजेंडा यहां के लोगों से और पाकिस्तान से बातचीत करने का है. हमने पहले ही साफ किया था कि 370 से छेड़छाड़ नहीं होगी, हमने तीन साल इसके लिए पूरी कोशिश की, हमने अपना एजेंडा पूरी तरह निभाया.'' महबूबा मुफ्ती ने साफ किया वो किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगी, इसके बाद एक बार फिर जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगना पहले से और भी ज्यादा तय हो गया है.
राज्यपाल का कार्यकाल बढ़ा, राज्यपाल शासन लगना तय
जम्मू कश्मीर के सियासी संकट के बीच राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल अगली नियुक्ति तक बढ़ा दिया गया है. राज्यपाल वोहरा का कार्यकाल 25 जून को खत्म होने वाला था. जानकारी के मुताबिक जम्मू कश्मीर में एनएन वोहरा के अनुभव को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है. इस फैसले के बाद राजय में राज्यपाल शाशन लगना तय माना जा रहा है.
उमर अब्दुल्ला का समर्थन से इनकार
उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती को समर्थन देने से इनकार कर दिया है. उमर अब्दुल्ला ने कहा मुझे इस फैसले को बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर हमें आश्चर्य है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है इसलिए राज्यपाल शासन लगना तय है. इसलिए हमने राज्यपाल से मिलकर कहा है कि हम उनका सहयोग करेंगे. लेकिन हमने यह भी कहा कि जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य करने की कोशिश हो, राज्य में नए सिरे चुनाव हों, राज्य की जनता को मौका मिले वो किसे चुनना चाहती है.
कांग्रेस बोली-अच्छा हुआ
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मौजूदा सियासी हलचल पर कहा कि जो कुछ भी हुआ वह अच्छा है. जम्मू-कश्मीर के लोगों को राहत मिलेगी. बीजेपी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया और अब उन्होंने समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी-पीडीपी के तीन साल के शासन के दौरान सबसे अधिक सुरक्षाबलों और कश्मीरी नागरिकों की मौत हुई है.
शिवसेना का बड़ा हमला
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अपवित्र गठबंधन को लेकर हमने पहले ही कह दिया था कि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. यह एंटी नेशनल गठबंधन था. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे ख़बर मिली की जम्मू कश्मीर में बीजेपी सरकार से बाहर आ गई है। मैं इसका अभिनंदन करता हूं, लेकिन ये सरकार निकम्मी है ये जानने के लिए आपको तीन साल लग गए। इन तीन सालों में 600 जवान शहीद हुए, उनके बलिदान का क्या?