अशोका यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसर के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को जानना चाहा कि इससे देश में ‘‘अकादमिक स्वतंत्रता’’ का क्या मतलब निकलता है. साथ ही, उन्होंने लोगों से ‘‘एक विचारधारा थोपे जाने’’ के खिलाफ खड़े होने और उसका प्रतिरोध करने की अपील की. उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘‘भाजपा की विचारधारा’’ भारत को बर्बाद कर देगी और इसे तानाशाही में तब्दील कर देगी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ट्विटर पर सवाल किया, ‘‘यदि दो प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के तौर पर इस्तीफा देना पड़ता है, तो देश में अकादमिक स्वतंत्रता के बारे में क्या कहा जाएगा.’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘भारत के लोगों को देश भर में एक विचारधारा थोपे जाने की कोशिश के खिलाफ अवश्य खड़ा होना चाहिए और उसका कड़ा प्रतिरोध करना चाहिए. भाजपा की विचारधारा विचारधारा देश को बर्बाद कर देगी और भारत को तानाशाही में तब्दील कर देगी.’’
हरियाणा के सोनीपत स्थित इस विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, छात्रों और पूर्व छात्रों ने प्रख्यात राजनीतिक स्तंभकार प्रताप भानु मेहता के प्रोफेसर के तौर पर इस्तीफा देने पर रोष प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मेहता के इस्तीफे का संबंध उनके द्वारा सरकार की आलोचना किये जाने से है.
संकाय सदस्यों ने विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) और बोर्ड के सदस्यों को पत्र लिख कर कहा है कि मेहता का जाना भविष्य में संकाय के सदस्यों को हटाने के लिए एक दृष्टांत बन जाएगा. गौरतलब है कि प्रख्यात अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने भी बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के तौर पर इस्तीफा दे दिया था.
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