नई दिल्ली: 2019 के चुनाव बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए परसों दिल्ली में बड़ी बैठक होगी. कल मुंबई में बीजेपी के खिलाफ संविधान बचाओ रैली करने के बाद एनसीपी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) अध्यक्ष शरद पवार ने 29 तारीखो को बैठक का एलान किया.


कल की रैली में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, शरद पवार, शरद यादव, उमर अब्दुल्ला और लेफ्ट के कई नेताओं ने हिस्सा लिया. आपको बता दें कि देश में जब 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा था मौके पर मुंबई में विपक्ष संविधान बचाने रैली के बैनर तले एकजुट हुआ.


विपक्ष की यह रैली डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर प्रतिमा से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा (गेट वे ऑफ़ इंडिया) तक गई. इस रैली में काफी संख्य में लोगों ने हिस्सा लिया. विपक्ष की रैली के विरोध में बीजेपी ने तिरंगा यात्रा का आयोजन किया.


इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''हमारे पास जो भी वो संविधान की वजह से ही है. अगर संविधान सुरक्षित नहीं रहेगा तो फिर हमारे पास कुछ नहीं रहेगा. ये सरकार बनाम विपक्ष नहीं है, ये एनडीए बनाम यूपीए भी नहीं है. ये सिर्फ देश के संविधान के लिए है.''


क्यों निकली संविधान बचाओ रैली


दरअसल कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े ने संविधान को लेकर एक विवादित बयान दिया था. हेगड़े के इसी बयान को आधार बनाकर विपक्ष ने संविधान बचाओ रैली का आयोजन किया है.


हेगड़ ने कहा था कि 'वो लोग जो अपनी जड़ों से अंजान होते हुए खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, उनकी खुद की कोई पहचान नहीं होती. उन्हें अपनी जड़ों का पता नहीं होता. लेकिन वे बुद्धिजीवी होते हैं.'' उन्होंने कहा था कि वे संविधान का सम्मान करते हैं लेकिन आने वाले समय में ये बदलेगा. ये रैली ऐसी ही बयानों के विरोध में निकाली गई थी.


शिवसेना ने रैली से बनाए रखी दूरी


2014 में एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी राजनीति पार्टी पार्टी शिवसेना ने दोनों रैलियों से अपनी दूरी बनाए रखी. शिवसेना मोदी सरकार में अभी भी शामिल है और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार का भी हिस्सा है जिसमें इसके मंत्री भी हैं. आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां साथ लड़ी थी.