यूपी के महराजगंज में अवैध तरीके से गिराया था मकान, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद IAS अधिकारी समेत 26 पर दर्ज हुई FIR
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले में एक IAS अधिकारी सहित कुल 26 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. यह मामला अधिकारियों के कानून के दायरे से बाहर जाकर कार्रवाई करने से जुड़ा है.
FIR Against IAS Officer In Maharajganj Case: गैरकानूनी तरीके से मकान गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद यूपी सरकार ने सक्रियता दिखाई है. पुलिस ने महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी समेत आईएएस और आईपीएस अधिकारियों, इंजीनियरों और ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की है. कुल 26 लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में दर्ज एफआईआर की जांच सीबीसीआईडी करेगी.
6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सड़क विस्तार के लिए मकानों को गिराए जाने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे. यह आदेश महराजगंज में पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल का मकान गिराए जाने को लेकर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि 13 सितंबर 2019 को बिना जमीन का अधिग्रहण किए या नोटिस दिए अचानक टिबड़ेवाल का पुश्तैनी मकान तोड़ दिया गया था. यहां तक कि घर में रखा सामान हटाने तक का मौका नहीं दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए के अंतरिम मुआवजे के साथ ही यूपी सरकार को यह आदेश भी दिया था कि वह गैरकानूनी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ 1 महीने में विभागीय कार्रवाई करे. साथ ही यह अवैध कार्रवाई करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो.
इन लोगों के खिलाफ मुकदमा हुआ दर्ज
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, सोमवार (30 दिसंबर) को महराजगंज कोतवाली थाने में यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी ने एफआईआर दर्ज करवाई है. यह एफआईआर आईएएस और पीसीएस अधिकारियों, NHAI और PWD के इंजीनियरों, नगर पालिका के अधिकारी, पुलिस इंस्पेक्टरों, सब- इंस्पेक्टरों, LIU इंस्पेक्टरों और ठेकेदारों समेत 26 के खिलाफ दर्ज हुई है. जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, तत्कालीन एसडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल भी शामिल हैं.
FIR में लगाई गई आईपीसी की ये धाराएं
इस एफआईआर में आईपीसी की धारा 147, 166, 167, 323, 504, 506, 427, 452, 342, 336, 355, 420, 467, 468, 471 तथा 120 बी जोड़ी गई हैं. यह धाराएं दस्तावेजों से छेड़छाड़, धोखाधड़ी, मारपीट, धमकी देने जैसे कई आरोपों को लेकर हैं. इन धाराओं में 10 साल की कैद और उम्रकैद जैसी कठोर सजा का भी प्रावधान है.