Election Survey: महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे के पास गई लेकिन जनता का मूड उद्धव के साथ, ये हम नहीं दो सर्वे के नतीजे कह रहे
Mahararashtra Politics: शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न हासिल करने की लड़ाई उद्धव ठाकरे हार गए हैं. हालांकि, जनता का मूड अभी भी उनके साथ है. हालिया सर्वे ये बता रहा है.
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2024 Election Survey: केंद्रीय चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को झटका देते हुए शिवसेना की सियासी लड़ाई को विराम दे दिया है. पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर फैसला देते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि 'शिवसेना' और 'धनुष बाण' दोनों एकनाथ शिंदे के पास रहेगा. यानी एकनाथ शिंदे की सेना ही असली शिवसेना है. चुनाव आयोग के आदेश के बाद शिवसेना तो एकनाथ शिंदे के पास आ गई है लेकिन जनता का मूड अभी भी उद्धव गुट के साथ ही नजर आ रहा है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि हाल ही में आए एक सर्वे के नतीजे बता रहे हैं.
हाल ही में सी वोटर और इंडिया टुडे ने मूड ऑफ द नेशन नाम से एक सर्वे किया था. इसमें 1 लाख 39 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था. पार्टी में सियासी टूट का झटका देख रहे उद्धव ठाकरे के लिए इस सर्वे के नतीजे राहत पहुंचाने वाले हैं. सर्वे में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार यूपीए की सीटें छह गुना बढ़ती दिखाई दे रही हैं.
2019 में एनडीए का हिस्सा थी शिवसेना
पिछले लोकसभा के चुनाव में महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण बिल्कुल जुदा थे. तब शिवसेना में दो फाड़ नहीं हुए थे और उद्धव ठाकरे ही उसके सर्वेसर्वा थे. पार्टी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा थी. लोकसभा के नतीजे आए तो एनडीए ने एकतरफा लहर में 41 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी 23 सीटकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि उस समय सहयोगी रही शिवसेना को 18 सीट पर जीत मिली. 4 सीट पर एनसीपी के उम्मीदवार जीते जबकि कांग्रेस को एक सीट ही मिली. एआईएमआईएम का एक उम्मीदवार जीता जबकि एक निर्दलीय के खाते में गई. निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एनडीए को समर्थन दिया है.
बदले समीकरण
अब राजनीति के समीकरण बदल गए हैं. विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना ने एनडीए से नाता तोड़ लिया. उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाविकास आघाडी गठबंधन बनाकर राज्य में सरकार बनाई. सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बड़ी बगावत हुई और पार्टी में दो फाड़ हो गया. 40 से अधिक विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा ठोंका लेकिन चुनाव आयोग ने उसे अब नकार दिया है.
जनता का मूड नहीं बदला
राज्य में राजनीतिक समीकरण बदले हैं लेकिन अभी भी जनता का मूड उद्धव के साथ साथ नजर आ रहा है. हाल ही में आए सी वोटर के सर्वे के नतीजे इसी बात का संकेत है. सर्वे के अनुसार, महाराष्ट्र में यूपीए को 34 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. 2019 में यूपीए को जहां 5 सीट ही मिली थी, वहीं अब 6 गुना ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं.
पिछली बार शिवसेना जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बीजेपी के साथ थी तो एनडीए को 41 सीटें मिली थीं. सिर्फ यही नहीं, छह महीने पहले सी वोटर के एक दूसरे सर्वे में यूपीए को 30 सीट मिल रही थी. यानी शिवसेना को लेकर जब विवाद चल रहा था उसी दौरान यूपीए की सीटें बढ़ी हैं जो बताता है कि यूपीए की सीटें बढ़ी हैं.
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