नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एक्शन में आ गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है. केजरीवाल ने ट्वीट किया कि अगर मोदी सरकार अवैध आदेशों के जरिए अधिकार नहीं छीनती तीन साल बर्बाद नहीं होते. केजरीवाल ने लिखा, ''कैबिनेट की बैठक हुई, घर तक राशन पहुंचाने की स्कीम और सीसीटीवी पर तेजी से काम करने का आदेश दिया. अगर मोदी सरकार ने अवैध आदेश के जरिए चुनी हुई सरकार के अधिकार नहीं छीने होते तो तीन साल बच जाते. दिल्ली सरकार न्यायपालिका की आभारी है. आज का आदेश न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को मजबूत करता है.''


राशन डिलीवरी और सीसीटीवी को जल्द पूरा करेंगे- सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कैबिनेट की बैठक हुई थी. कानून मंत्री ने सभी को फैसले की जानकारी दी. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से काम करने के निर्देश दिए हैं. सीसीटीवी और राशन की डोर स्टेप डिलीवरी पर जो रोक थी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हट गई है. जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा.''


एलजी ने जनता को धोखा दिया, माफी मांगे- सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा, ''संविधान के मुताबिक कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन के मामलों को छेड़कर सभी मामलों में दिल्ली विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार है. शीला दीक्षित जी समय मुख्यमंत्री थी उस समय अगर इन तीन मुद्दों को हटा दें तो दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, उनके पास में आधा अधूरा राज्य था. जब हमारी सरकार आई तो मोदी जी ने एक आदेश जारी करके इसमें सर्विसेज भी जोड़ दिया. एलजी साहब ने इसी का गलत इस्तेमाल किया. सारी फाइलें एलजी साहब के पास जाने लगी, सैकड़ों कामों में बाधा डाली गई. LG के पास कभी भी फ़ाइल रोकने की पावर नहीं थी. उन्हें मतभेद होने पर मतभेद होने पर जो फाइलें राष्ट्रपति को भेजनी थीं वो अपने स्तर पर ही रिजेक्ट कर देते थे, दो साल तक धोखा दिया गया। LG को संविधान की गलत व्याख्या के लिए इन्हें दिल्ली की जनता से माफी मांगनी चाहिए.''


ट्रांसफर पोस्टिंग अब हम करेंगे, हमारे पास कानून बनाने का अधिकार- सिसोदिया
सिसोदिया ने कहा, ''हाईकोर्ट का आदेश आया था दो साल पहले उसके बाद एक आदेश जारी हुआ था और दिल्ल सरकार चुनी हुई सराकर से ट्रांसफर पोस्टिंग की पॉवर छीनकर एलजी साहब ने अपने पास रख ली थीं. एलजी साहब ने जो व्यवस्था की उसके हिसाब से आईएएस अधिकारी, दानिक्स अधिकारी, ऑल इंडिया सर्विसेज के बाकी आधिकारी और उनके समकक्ष के अधिकारी उनको एलजी साहब की परमीशन से ट्रांसफर पोस्टिंग होनी थी. इसके अलावा अन्य अधिकारियों के चीफ सेक्रेटरी को अधिकार दिया गया था. आज सर्विस मिनिस्टर होने के नाते मैंने आदेश दिया है कि ये व्यवस्था बदलकर के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर मुख्यमंत्री के आदेश से होंगे. इसके अलावा बाकी अधिकारियों के ट्रांसफर डिप्टी सीएम और सर्विस मिनिस्टर के आदेश से होंगे.'' आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कुछ भी साफ साफ नहीं कहा गया है, इसलिए हो सकता है कि दिल्ली सरकार के इस फैसले पर आगे विवाद बढ़े.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच अधिकार की लड़ाई पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने हुए दिल्ली की जनता को 'असली बॉस' बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में किसी का एकाधिकार नहीं है, एलजी दिल्ली के प्रशासक हैं लेकिन हर मामले में उनकी सहमति जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं, जनता के प्रति जवाबदेही सरकार की होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का आसान मतलब ये है कि एलजी दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया जरूर हैं लेकिन उनके पास ऐसी शक्तियां नहीं है कि वो चुनी हुई सरकार के काम में अंड़गा लगाएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एलजी कैबिनेट के साथ मिलकर काम करें और अगर उन्हें सरकार के किसी फैसले से दिक्कत है तो मामले को सीधे राष्ट्रपति के पास भेजें.