अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश पक्ष के पास क्या विकल्प रह जाएंगे?
पीएम नरेंद्र मोदी और विभिन्न धर्म गुरुओं ने लोगों से शांति बनाए रखने और कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील की है. दिल्ली में फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ के पांचों जजों के घर के बाहर शुक्रवार से सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
नई दिल्ली: देश के सबसे लंबे चले मुकदमे यानी अयोध्या विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सुबह 10.30 बजे आखिरी फैसला सुनाने वाला है. 5 जजों की बेंच अयोध्या पर फैसला सुनाएगी. फैसले से पहले उत्तर प्रदेश में सुरक्षा चाकचौबंद हो चुकी है. हर हरकत पर पुलिस और सुरक्षाबलों की नजर है. उत्तर प्रदेश में 11 तारीख तक सभी स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी हो गए हैं. मध्य प्रदेश में भी स्कूल कॉलेज बंद रहेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है. गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार के अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी आज अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट भी सुरक्षा के साए में है. लोगों से अपील की जा रही है कि फैसला चाहे कुछ भी हो लेकिन संयम और सौहार्द बनाए रखें.
इस सब के बीच एक बड़ा सवाल ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश पक्ष के पास क्या विकल्प रह जाएंगे ? फैसले के बाद नाखुश पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करेगा. इस रिव्यू पिटीशन को वही बेंच सुनेगी जो मामले की सुनवाई पहले कर चुकी है यानि पांच जजों की बेंच होगी. पहले ये बैंच अपने चैंम्बर में सुनेंगे और तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन सुनवाई के योग्य है या नहीं. अगर सुनवाई के योग्य माना गया तो फिर खुली अदालत में सुनवाई होगी. दोनों पक्षों के पास अगर कोई नई दलीलें हैं तो उन्हें सुना जाएगा.
यहां भी अगर नाखुश पक्ष के खिलाफ फैसला आता है तो क्या होगा. ऐसे में कोई वरिष्ठ अधिवक्ता चीफ जस्टिस के सामने क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे. इस में कहा जाएगा कि पिछले फैसले में फलां फलां खामियां थीं जिसका कोई कोई इलाज अदालत निकालने की तकलीफ करे. चीफ जस्टिस इस पर नई बेंच बनाएंगे जो कम से कम पांच जजों की होगी. वो बैंच क्यूरेटिव पिटीशन पर फैसला करेगी.
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यहां दोनों पक्षों को जरुरी नहीं है कि बुलाया जाए. मान लीजिए कि क्युरेटिव पिटीशन पर भी नाखुश पक्ष को निराशा हाथ लगे तो क्या होगा. ऐसे में एमरजेंसी पिटीशन का सहारा लिया जाएगा जो अंतिम हथियार होगा. यहां भी नाखुश पक्ष के खिलाफ फैसला होता है तो उसके पास आगे कोई विकल्प नहीं रह जाएगा.