नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बार फिर राम मंदिर की सुनवाई को टालते हुए अगली तारीख़ 10 जनवरी की दी है. कोर्ट ने जैसे ही ये बात कही वैसे ही राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. बीजेपी के गिरिराज सिंह से लेकर राकेश सिन्हा जैसे सांसदों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो कहा है वो 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के कैंपेन की धारा को तय करने वाली बात है. उनके मुताबिक अगले चुनावों में राम मंदिर मुद्दा नहीं होगा.


राहुल गांधी से जब पूछा गया कि क्या 2019 के आम चुनावों में राम मंदिर एक बड़ा मुद्दा होगा जो चुनाव पर असर डालेगा? इसके जवाब में राहुल ने कहा, "2019 के चुनावों में ऐसे चार मुद्दे होंगे जो नैरेटिव तय करेंगे." इन मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बेरोज़गारी, किसानों की समस्या, खराब आर्थिक स्थिति और सरकार के राफेल जैसे घोटाले का नाम लिया.


राहुल का ये बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि एक तरफ जहां अली बनाम बजरंग बली और हिंदू देवता हनुमान की जाति बीते विधानसभा चुनावों में छाई रही, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का किसान कार्ड काम कर गया. आपको बता दें कि कांग्रेस ने भी मेनिफेस्टो में कई ऐसी बातें कही थीं जो पार्टी के सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि के साथ जाती थी. वहीं राहुल गांधी की शिव भक्ति और उनका गोत्र भी चुनावों में छाया रहा. लेकिन विश्लेषकों का मनना है कि कांग्रेस के पक्ष में नतीजों को मोड़ने में सबसे अहम किसानों के वोट रहे.


पहली जनवरी को दिए गए साल 2019 के पहले इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक राम मंदिर पर कोई कानून नहीं आएगा. लेकिन आज कोर्ट ने जो कहा उसके बाद उनकी पार्टी के सांसद विनय कटियार मंदिर पर कानून की मांग कर रहे हैं. वहीं, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के राकेश सिन्हा से लेकर गिरिराज सिंह जैसे संसदों ने आज के घटनाक्रम के बाद सुप्रीम कोर्ट पर मुखर रूप से जमकर हमला बोला.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएपी) के नेताओं के रुख से भी साफ है कि पहली जनवरी को पीएम मोदी द्वारा दिया गया बयान उन्हें खासा पसंद नहीं आया. ऐसे में बीजेपी नेताओं से लेकर हिंदूवादी संगठनों के रुख से साफ है कि 2019 में राम मंदिर पार्टी के लिए बड़ा मुद्दा होगा. वहीं, देखने वाली बात होगी कि जो राहुल गांधी अभी इसे मुद्दे के तौर पर ख़ारिज कर रहे हैं, अगर इस पर माहौल बनता है तो उनके द्वारा गिनाए जा रहे बेरोज़गारी, किसान समस्या, खराब आर्थव्यवस्था और राफेल जैसे मामलों से वो कैसे इसका मुकाबला कर पाते हैं.


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