नई दिल्ली: सीडीएस का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद से ही जनरल बिपिन रावत ने युद्धस्तर पर तीनों सेनाओं में तालमेल बिठाने की तरफ कदम उठाना शुरु कर दिया है. पहले ही दिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि 30 जून तक तीनों सेनाओं का एक साझा एयर-डिफेंस कमांड बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जाए.


अभी तक थलसेना, वायुसेना और नौसेना के हवाई सुरक्षा के लिए अलग-अलग एयर डिफेंस विंग है. सीडीएस बिपिन रावत ने इंडीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (यानि आईडीएस) के अधिकारियों को आदेश दिया है कि तीनों सेनाओं का अब एक साझा एयर डिफेंस कमांड बना दिया जाए, ताकि एक से ज्यादा विंग का काम 'ओवरलैप' ना हो.


आपको बता दें कि देश की हवाई सुरक्षा और प्रमुख राजनीतिक और सैन्य संस्थानों की सुरक्षा के लिए देशभर में एयर-डिफेंस सिस्टम है. इस प्रणाली में रडार सिस्टम से लेकर एटीसी और पांच किलोमीटर से लेकर 500 किलोमीटर तक मार करने वाले मिसाइल हैं, लेकिन थलसेना में भी एलओसी और अपनी छावनियों की सुरक्षा के लिए एक पूरी एयर डिफेंस रेजीमेंट है. इसी तरह से वायुसेना का भी अपना अलग हवाई सुरक्षा घेरा है. जल्द ही वायुसेना को रूस से मिलने वाली दुनिया की सबसे घातक मिसाइल प्रणाली, एस-400 भी एयर डिफेंस का ही हिस्सा है.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सीडीएस ने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद इंडीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (आईडीएस) के महत्वपूर्ण अधिकारियों से बैठक की और उसमें ये भी आदेश दिया कि जहां पर भी दो या दो से अधिक सेनाओं के अलग-अलग बेस या छावनियां हैं वहां पर भी साझा लोजिस्टक-सपोर्ट सिस्टम (गाड़ियां इत्यादि) तैयार किए जाने का प्रपोजल तैयार किया जाए.


सीडीएस ने लेकिन साफ किया कि ऐसा कोई भी साझा प्रस्ताव तैयार करने से पहले थलसेना, वायुसेना और नौसेना के साथ साथ कोस्टगार्ड से भी विचार-विमर्श जरूर किया जाए.


सीडीएस ने गुरूवार को अपने दफ्तर में तीनों सेनाओं के प्रमुखों से भी बैठक की.